विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की और अंतरिम सरकार से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया. संसद में विदेश मंत्रालय का यह बयान बांग्लादेश में एक हिंदू नेता की गिरफ़्तारी और कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों द्वारा इस्कॉन और अन्य मंदिरों को निशाना बनाए जाने को लेकर फिर से पैदा हुई अशांति के बीच आया है.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में दिए जवाब में कहा, “भारत सरकार ने ढाका के तांतीबाजार में पूजा मंडप पर हमले और दुर्गा पूजा 2024 के दौरान सतखीरा में जेशोरेश्वरी काली मंदिर में चोरी सहित ऐसी घटनाओं पर अपनी चिंता व्यक्त की है.”
पिछले महीने, ढाका के तांतीबाजार इलाके में एक दुर्गा पूजा मंडप पर एक देसी बम फेंका गया था. हालांकि, इसमें कोई हताहत नहीं हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में अपनी यात्रा के दौरान भेंट किया गया देवी काली का मुकुट जेशोरेश्वरी मंदिर से चोरी हो गया. 5 अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने की ऐसी ही घटनाएं तेज हो गई हैं.
मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा, “सरकार ने बांग्लादेश से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों तथा उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया है. अल्पसंख्यकों सहित बांग्लादेश के सभी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है.”
विदेश मंत्री एस जयशंकर, जिन्होंने आज पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश की स्थिति के बारे में जानकारी दी थी, शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों को संबोधित कर सकते हैं.
सरकार ने पिछले सप्ताह हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की राजद्रोह के मामले में गिरफ्तारी के बाद भी इसी तरह की अपील की थी. चिन्मय दास, जो पहले इस्कॉन के सदस्य थे, पर हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था. उनकी गिरफ्तारी ने पड़ोसी देश भर में हिंदू समुदाय के लोगों में भारी विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है.
भारत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश सरकार ने कहा कि वह देश की न्यायपालिका में हस्तक्षेप नहीं करती है, जो पूरी तरह से स्वतंत्र है. उसने आगे कहा, “बांग्लादेश देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए भी प्रतिबद्ध है.”
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