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‘जंग के लिए कम पड़ रहे हथियार, नई सप्लाई में देरी…’, नेतन्याहू ने हिज्बुल्लाह के साथ सीजफायर की वजह बता दी है!

इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच एक साल से चली आ रही जंग अब थम गई है. 60 दिनों के लिए ही सही. दोनों पक्षों के बीच 60 दिनों के सीजफायर पर सहमति बनी और यह सीजफायर आज से लागू भी हो गया है. लेकिन असल सवाल है कि कई महीनों से संघर्षविराम पर बन रही सहमति पर आखिरकार नेतन्याहू राजी कैसे हुए?

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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सिक्योरिटी कैबिनेट ने लेबनान के चरमपंथी संगठन हिज्बुल्लाह के साथ सीजफायर को मंजूरी दी. कैबिनेट ने अमेरिकी का मध्यस्थता से तैयार किए गए इस सीजफायर प्लान को एक के मुकाबले दस वोटों से हरी झंडी दी. लेकिन इससे पहले नेतन्याहू ने देश को संबोधित कर किया.

उन्होंने कहा कि हिज्बुल्लाह के साथ इजरायल का सीजफायर फिलहाल 60 दिनों का है. इसे आगे कितना बढ़ाया जाएगा या नहीं. इस पर अभी कुछ तय नहीं हुआ है. यह फिलहाल अस्थाई सीजफायर है.

नेतन्याहू ने गिनाए तीन कारण

पीएम नेतन्याहू ने कहा कि हिज्बुल्लाह के साथ सीजफायर इस समय वक्त की जरूरत है क्योंकि इजरायली सेना फिलहाल ईरान से मिल ही चुनौती पर फोकस करना चाहती है. इसका दूसरा कारण ये है कि इजरायली सेना के हथियार स्टॉक को फिर से दुरुस्त करने की जरूरत है.

नेतन्याहू ने कहा कि इसके छिपाने जैसी कोई बात नहीं है कि हथियारों और गोला बारूद की डिलीवरी में बहुत देरी हो रही थी. हमें अभी और उन्नत हथियारों की सप्लाई होनी है ताकि हमारे सैनिक सुरक्षित रहें और हम दोगुनी ताकत से जवाबी कार्रवाई कर सके.

उन्होंने तीसरा कारण बताते हुए कहा कि हिज्बु्ल्लाह के साथ सीजफायर एक तरह से हमास को अलग-थलग करने की तरकीब भी है. हमास शुरुआत से ही हिज्बुल्लाह पर निर्भर था. वह जंग में हिज्बुल्लाह की मदद ले रहा था. अब हिज्बुल्लाह के साथ सीजफायर के बाद वह अलग-थलग पड़ जाएगा. ऐसे में अगर हिज्बुल्लाह सीजफायर के नियमों का उल्लंघन कर हमास की मदद करता है तो इजरायल जवाबी कार्रवाई करेगा.

क्या हैं सीजफायर की शर्तें

सीजफायर समझौते के तहत इजरायली सैनिकों को दक्षिण लेबनान से वापस जाना होगा और लेबनान की सेना को इस क्षेत्र में तैनात करना होगा. इसके साथ ही हिज्बुल्लाह लिटानी नदी के दक्षिण में सीमा पर अपनी सशस्त्र मौजूदगी भी खत्म कर देगा. लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि लेबनान की सेना इजरायली सैनिकों के वापस जाने पर दक्षिणी लेबनान में कम से कम 5000 सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार है.

नेतन्याहू का कहना है कि युद्धविराम की अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि लेबनान में क्या होता है. अगर हिज्बुल्लाह समझौते का उल्लंघन करता है और खुद को हथियारबंद करने की कोशिश करता है, तो हम हमला करेंगे, अगर वह सीमा के पास आतंकवादी बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण करने की कोशिश करता है, तो हम हमला करेंगे. अगर वह रॉकेट लॉन्च करता है, अगर वह सुरंग खोदता है, अगर वह रॉकेट ले जाने वाला ट्रक लाता है, तो हम हमला करेंगे.

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