रायपुर। कोयला, आयरन ओर, स्टील, बाक्साइट आदि खनिज संसाधनों के भंडार में निवेश धरातल पर नहीं उतर पा रहा है। कांग्रेस शासनकाल में वर्ष 2019 से लेकर 2023 तक किए गए एमओयू में पूर्ववर्ती सरकार ने 1.27 लाख करोड़ रुपये निवेश का दावा किया था, लेकिन भाजपा सरकार ने विधानसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट में दावा किया कि इसमें से 10 प्रतिशत निवेश भी सफल नहीं हो सका है। इसकी बड़ी वजह औद्योगिक नीति का बेहतर क्रियान्वयन नहीं होना भी शामिल हैं।
पूर्ववर्ती सरकार ने 2019-2024 औद्योगिक नीति लागू की थी, लेकिन इस नीति के अंतर्गत उल्लेखित प्रविधान फाइलों में ही सिमट कर रह गए। औद्योगिक घरानों को न तो जमीन मिल पाई और न ही बिजली, पानी आदि की सुविधाएं। सब्सिडी, ब्याज अनुदान सहित तमाम घोषणाओं के लिए उद्योगपति इंतजार करते रह गए। प्रदेश में निवेश सफल नहीं होने के मामले पर औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि अब नई सरकार से उम्मीदें हैं।
नई औद्योगिक नीति
नई औद्योगिक नीति नवंबर-2024 तक जारी होने की उम्मीद है,जिसमें पांच वर्ष का विजन प्रस्तुत करने की बात कही गई है। सरकार का दावा है कि पूर्ववर्ती सरकार में उद्योगों की स्थापना, निवेश को लेकर जो समस्याएं आई थीं, उसे दूर किया जाएगा।
इन क्षेत्रों के लिए निवेश को लगा झटका
रायपुर, बेमेतरा, तिल्दा, बलौदाबाजार, महासमुंद, दुर्ग, रायगढ़, बस्तर, मुंगेली, कोंडागांव, बिलासपुर, कांकेर, अभनपुर, जशपुर आदि।
छत्तीसगढ़ चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा, प्रदेश में व्यापार-उद्योग की बेहतरी के लिए प्रभावी औद्योगिक नीतियों की आवश्यकता है, जिसका प्रभावी क्रियान्वयन हो सके। व्यापारिक-औद्योगिक संघों से सुझाव लेकर नई औद्योगिक नीति के लिए चैंबर आफ कामर्स से सरकार को सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
स्टील रि-रोलर्स एसोसिएशन के महासिचव बांके बिहारी अग्रवाल ने कहा, नई औद्योगिक नीति से उद्योगपतियों को बड़ी उम्मीदें हैं। प्रदेश में निवेश की संभावनाएं हैं। औद्योगिक घरानों को आकर्षित करने के लिए सुविधाएं बढ़ानी चाहिए।
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने कहा, पांच वर्ष के लिए बनी औद्योगिक नीति में प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता थी। प्रविधान बेहतर थे, लेकिन विभागीय कमजोर की वजह से नीतियां समय पर लागू नहीं हो सकी। अन्य प्रदेशों की तर्ज पर यहां सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने की आवश्यकता है।
उरला औद्योगिक संघ के अध्यक्ष अश्विनी गर्ग ने कहा, प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा निवेश के लिए औद्योगिक नीतियों का बेहतर क्रियान्वयन जरूरी है। उरला औद्योगिक क्षेत्र में कई विभागीय विसंगतियों को दूर नहीं किया जा सका है।
फैक्ट फाइल
प्रदेश में उत्पादन
1. 5 लाख टन एल्यूमिनियम का वार्षिक उत्पादन।
2. 25 लाख टन स्टील का होता है वार्षिक उत्पाद।
3. 600 लाख टन आयरन ओर का उत्पादन
4. 30 लाख टन सीमेंट का वार्षिक उत्पादन।
5. 30 हजार मेगावाट से अधिक का होता है बिजली उत्पादन।
6. 3000 लाख टन कोयला का उत्पादन
7. 700 लाख टन लाइम स्टोन का उत्पादन
पूर्ववर्ती सरकार ने इस उद्देश्य से बनाई थी औद्योगिक नीति
1. रोबोटिक्स तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आइटी, जैव प्रौद्योगिकी व ऊर्जा क्षेत्र को आकर्षित करना।
2. प्रदूषण रहित उद्योगों पर विशेष जोर देना।
3. राज्य से निर्यात को प्रोत्साहन देना।
4. लाजिस्टिक सुविधाओं का विकास
5. उन्नत कृषि, खाद्य प्रसंस्कर, भंडारण को प्रोत्साहित करना।