इजरायल से भीषण संघर्ष के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई शनिवार को पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए. उन्होंने तेहरान में आयोजित शिया मुस्लिम कैलेंडर के सबसे महत्वपूर्ण दिन आशूरा के समारोह में हिस्सा लिया.
समाचार एजेंसी के अनुसार, ईरानी सरकारी टेलीविजन ने एक वीडियो प्रसारित किया, जिसमें खामेनेई को पारंपरिक काले कपड़े पहने हुए एक बड़े हॉल में प्रवेश करते दिखाया गया, जहां आशूरा के अवसर पर भारी भीड़ एकत्र थी. ये हॉल अक्सर महत्वपूर्ण सरकारी और धार्मिक आयोजनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. समारोह में मौजूद लोग खामेनेई के प्रवेश पर नारे लगाते और उत्साह व्यक्त करते नजर आए. ये उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी जो 13 जून को इजराइल के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से देखी गई है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
प्रोटोकॉल की वजह से सार्वजनिक आयोजनों से बनाई दूरी
ईरानी अधिकारियों ने बाद में स्पष्ट किया कि बढ़ते क्षेत्रीय तनावों के बीच सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत खामेनेई को सार्वजनिक आयोजनों से दूर रखा गया था. उनकी वार्षिक धार्मिक संबोधन समेत सभी भाषण प्री-रिकॉर्डेड वीडियो के जरिए से प्रसारित किए गए थे. इस अनुपस्थिति ने उनके स्वास्थ्य और ठिकाने को लेकर कई तरह की अटकलों को जन्म दिया था.
इजराइल के साथ 12 दिनों तक चले हवाई युद्ध के दौरान, जिसमें इजरायल ने ईरान के परमाणु स्थलों, रक्षा प्रणालियों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया, खामेनेई ने कोई सार्वजनिक उपस्थिति नहीं दर्ज की थी. इस दौरान वह एक सुरक्षित स्थान पर छिपे हुए थे और उनकी ओर से रिकॉर्ड किए गए संदेश प्रसारित किए गए. युद्ध की शुरुआत में 13 जून को इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु बुनियादी ढांचे पर बड़े पैमाने पर हमले किए, जिसमें शीर्ष कमांडरों और वैज्ञानिकों की हत्या शामिल थी. इसने खामेनेई की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा की थीं.
बता दें कि इजरायल और ईरान के बीच 12 दिनों का युद्ध 13 जून को शुरू हुआ, जब इजरायल ने ऑपरेशन ‘राइजिंग लायन’ के तहत ईरान के परमाणु स्थलों और सैन्य ठिकानों पर हमले किए. इन हमलों में ईरान के कई शीर्ष सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो गई. इसके जवाब में ईरान ने तेल अवीव और यरुशलम समेत इजरायल के प्रमुख शहरों पर कई बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से अधिकांश मिसाइलों को इजराइल ने नष्ट कर दिया, लेकिन इन हमलों में 28 लोगों की मौत हो गई और कई क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ.