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क्या बिल पेमेंट करते समय मोबाइल नंबर देना जरूरी है ? जानें क्या कहता है कानून

मुंबई : आजकल आप कहीं पर भी खरीददारी करते हैं तो आम तौर पर कार्डलेस पेमेंट का ही यूज करते हैं. ऐसा करते समय आपसे आपका मोबाइल नंबर भी मांगा जाता है. आपको लगता होगा कि बिना मोबाइल नंबर साझा किए आपका पेमेंट नहीं हो सकता है, इसलिए आप अपना नंबर साझा कर देते हैं.

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लेकिन यह जानकारी बहुत कम लोगों को होगी, कि जो नंबर आप उनसे साझा करते हैं, उस मोबाइल नंबर का क्या होता है. कभी आपने सोचा है कि यदि आपका नंबर किसी तीसरे पक्ष से साझा हो गया हो, तो क्या होगा. फिर आपके मोबाइल नंबर पर आने वाले मैसेजों की संख्या बढ़ जाती है, आपको पता भी नहीं होगा कहां-कहां से संदेश आते रहते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी ने आपका मोबाइल नंबर बिना आपकी अनुमति के तीसरे पक्ष से साझा कर दिया है.

आम लोगों का हित सुरक्षित रहे, इसके लिए पुणे डिस्ट्रिक सप्लाई अधिकारी ने बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने आम लोगों को अलर्ट किया है. उन्होंने कहा कि हरेक जगह पर पब्लिक को अपना मोबाइल नंबर शेयर करने से बचना चाहिए. उन्होंने अपने एक आदेश में कहा है कि कोई भी शॉपिंग मॉल या दुकानदार पेमेंट प्राप्त करने के लिए मोबाइल नंबर प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है.

उस अधिकारी के मुताबिक जैसे ही आप अपना मोबाइल नंबर किसी दुकानदार से साझा करते हैं, यह नंबर उनके सिस्टम में सेव हो जाता है. इसके बावजूद वे बिना आपकी इजाजत के इस नंबर को किसी अन्य व्यक्ति या संस्था के साथ शेयर नहीं कर सकते हैं, और यदि वे ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ आपराधिक मामला बनेगा.

उन्होंने यह आदेश बढ़ते साइबर फ्रॉड की मिल रही शिकायतों के बाद दिया है. यह मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है क्योंकि आजकल हर व्यक्ति का बैंक खाता मोबाइल नंबर से जुड़ा होता है.

बताया गया है कि जो भी प्रतिष्ठान ग्राहकों से बिना पूछे उनका मोबाइल नंबर किसी तीसरे पक्ष को प्रदान कर रहे हैं, उनके खिलाफ आईटी एक्ट 2000 के तहत आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है. इसके तहत तीन साल की जेल और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

शॉपिंग मॉल, रेस्तरां और खुदरा दुकानों सहित अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठान, विशेष रूप से अपना डेटा बेस बनाने के लिए, विभिन्न कारणों से ग्राहकों के मोबाइल नंबर एकत्र करते हैं. लेकिन कई बार नंबर जानबूझकर साइबर जालसाजों को लीक कर दिए जाते हैं, जो पैसे ऐंठने के लिए नंबरों का इस्तेमाल करते हैं.

पिछले साल उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और सीआईआई, फिक्की, सीएआईटी, एसोचैम और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स को चिट्ठी लिखी थी. इस लेटर (टैक्स गुरु ने इसे प्रकाशित किया है) में लिखा गया था कि कोई भी दुकानदार ग्राहक को अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है. मंत्रालय के अनुसार ऐसा देखा गया है कि एक बार नंबर साझा करने के बाद उपभोक्ताओं को अक्सर खुदरा विक्रेताओं से मार्केटिंग और प्रचार संदेशों की बाढ़ आ जाती है.

 

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