पितृपक्ष, जो इस साल 7 सितंबर से शुरू हो चुका है, जो 21 सितंबर तक चलेगा. श्राद्ध पक्ष एक ऐसा समय है जब हम अपने पितरों, यानी पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनका श्राद्ध करते हैं. इस दौरान, कई लोगों के मन में यह दुविधा रहती है कि क्या नई चीजें खरीदना शुभ है या अशुभ.बहुत से लोग मानते हैं कि पितृपक्ष में कोई भी नई चीज, चाहे वह कपड़े हों, वाहन हो या घर का सामान, नहीं खरीदना चाहिए. इसके पीछे यह धारणा है कि ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं और घर में नकारात्मकता आती है.
पितृपक्ष और खरीदारी, क्या है सच्चाई?
जब हम इस मान्यता को शास्त्रों की कसौटी पर परखते हैं, तो पाते हैं कि श्राद्ध पक्ष में खरीदारी को लेकर कोई भी साफ प्रतिबंध नहीं है. ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय जैसे विद्वानों का भी यही मत है कि पितृपक्ष को अशुभ नहीं मानना चाहिए. यह समय शोक या मातम का नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का है. दरअसल, शास्त्रों में इस बात को कहीं लिखा और बोला नहीं गया कि श्राद्ध पक्ष में खरीदारी नहीं करनी चाहिए. यह केवल एक सामाजिक धारणा है, जिसे लोगों ने अपनी सुविधा और मान्यताओं के अनुसार गढ़ लिया है.
क्यों नहीं करने चाहिए मांगलिक कार्य?
यह सही है कि पितृपक्ष में मांगलिक कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश या मुंडन आदि नहीं किए जाते. इसका कारण यह है कि इन दिनों में हमारा पूरा ध्यान अपने पितरों को याद करने और उनके लिए श्राद्ध करने पर केंद्रित होता है. मांगलिक कार्यों की धूम-धड़ाके वाली प्रकृति इस अवधि की गंभीरता और शांति के अनुरूप नहीं है. इसके विपरीत, दैनिक उपयोग की नई दैनिक चीजें खरीदना अशुभ नहीं होता है और इसका पितरों के सम्मान से कोई टकराव नहीं है.
नई चीजें खरीदने से मिलती है पितरों को खुशी!
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, जब आप कोई नई वस्तु खरीदते हैं, तो यह आपके परिवार की समृद्धि और खुशी को दर्शाता है. यह आपके पूर्वजों को यह संदेश देता है कि उनका परिवार सुखी और संपन्न है. ऐसी स्थिति में, पितर आपसे नाराज होने के बजाय प्रसन्न होते हैं और आपको अपना आशीर्वाद देते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान?
पितरों को याद करें: पितृपक्ष का मूल उद्देश्य अपने पूर्वजों को याद करना और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करना है. नई खरीदारी करते समय भी हमें उन्हें सम्मानपूर्वक याद रखना चाहिए.
दिखावा न करें: इस दौरान अत्यधिक दिखावा या फिजूलखर्ची से बचें. सादगी और विनम्रता बनाए रखें.
दान करें: पितृपक्ष में दान का विशेष महत्व है. खरीदारी के साथ-साथ गरीबों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
इसलिए पितृपक्ष में नई चीजें खरीदना बिल्कुल भी गलत नहीं है. यह केवल एक सामाजिक धारणा है, जिसका शास्त्रों में कोई आधार नहीं है. आप इस दौरान अपनी आवश्यकतानुसार खरीदारी कर सकते हैं. बस, अपने पितरों को हमेशा याद रखें और उनके प्रति अपनी श्रद्धा बनाए रखें.