जशपुर जिले के बगीचा नगर में डोड़की नदी किनारे स्थित छठ घाट की जमीन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। दशकों से आस्था का केंद्र रहे इस स्थल पर एक निजी व्यापारी के दावे के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। सोमवार को बड़ी संख्या में नगरवासियों ने एकत्र होकर एसडीएम प्रदीप राठिया को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि छठ घाट केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि बगीचा नगर की सांस्कृतिक पहचान भी है। यहां हर साल छठ पूजा, गणेश विसर्जन, दुर्गा पूजा सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होते रहे हैं। नगर पंचायत द्वारा इस घाट के सौंदर्याकरण, सड़क निर्माण और वृक्षारोपण जैसे विकास कार्य भी कराए गए हैं। इसके बावजूद अब यह भूमि विवादों में घिर गई है। विवाद खसरा नंबर 346 की 2.10 एकड़ भूमि को लेकर है। नागरिकों का आरोप है कि एक व्यापारी इस सरकारी भूमि को अपनी निजी संपत्ति बता रहा है। शुरुआत में जशपुर कलेक्टर ने इस जमीन को नगर पंचायत की संपत्ति माना था, लेकिन व्यापारी ने इस निर्णय को कमिश्नर न्यायालय में चुनौती दी। वहां से व्यापारी के पक्ष में फैसला सुना दिया गया, जिसे नगरवासी एकतरफा और अन्यायपूर्ण बता रहे हैं। नगरवासियों का कहना है कि कमिश्नर न्यायालय ने बिना उचित स्थल निरीक्षण और दस्तावेजी पुष्टि के निर्णय सुनाया, जिससे जनता में आक्रोश है।
उनका कहना है कि यह न केवल न्याय की भावना के विरुद्ध है, बल्कि जनता की धार्मिक आस्था पर भी कुठाराघात है। छठ घाट समिति और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस भूमि की निष्पक्ष जांच कराई जाए और कमिश्नर द्वारा दिए गए निर्णय पर तत्काल रोक लगाई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि समय रहते निर्णय को रोका नहीं गया तो यह मामला व्यापक जन आंदोलन का रूप ले सकता है। नागरिकों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी कीमत पर इस घाट को निजी स्वामित्व में नहीं जाने देंगे। उनका कहना है कि यह स्थान नगरवासियों की आस्था, संस्कृति और सामाजिक एकता का केंद्र है, जिसे किसी भी परिस्थिति में संरक्षित किया जाना चाहिए। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि घाट पर पहले से ही सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित होते आ रहे हैं, और नगर पंचायत द्वारा यहां आधारभूत सुविधाएं भी दी गई हैं।