जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से पहले पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने भारत में एक बड़े आतंकी हमले की साजिश रची थी. सेंट्रल जांच एजेंसियों ने दिल्ली में आईएसआई के स्लीपर सेल नेटवर्क को बेनकाब करते हुए बीते महीनों एक नेपाली मूल के एजेंट अंसारुल मियां अंसारी को गिरफ्तार किया था, जिसने इस साजिश का सनसनीखेज खुलासा किया है.
दरअसल, केंद्रीय एजेंसियों ने जनवरी 2025 से मार्च 2025 तक तीन महीने से ज्यादा वक्त तक चले एक बेहद खुफिया ऑपरेशन में दिल्ली में फैले आईएसआई के स्लीपर सेल नेटवर्क को ध्वस्त किया. इस ऑपरेशन में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल भी शामिल थी. इस ऑपरेशन के दौरान दिल्ली के होटल से नेपाली मूल के अंसारुल मियां अंसारी को गिरफ्तार किया गया था जो पाकिस्तान भागने की फिराक में था.
एजेंट के पास मिले कई खुफिया डॉक्यूमेंट
जानकारी के अनुसार, जांच एजेंसियों और पुलिस ने गिरफ्तार अंसारुल के पास से भारतीय सेना और सशस्त्र बलों से जुड़े कई गोपनीय डॉक्यूमेंट बरामद किए हैं. इन दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच में पुष्टि हुई कि वे सशस्त्र बलों के अत्यंत संवेदनशील और गोपनीय दस्तावेज थे. अंसारुल को आईएसआई ने इन डॉक्यूमेंट्स की एक सीडी बनाकर पाकिस्तान भेजने का निर्देश दिया था.
कतर से पाकिस्तान तक की साजिश
पूछताछ में अंसारुल ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए जांच एजेंसियों को बताया कि वह पहले कतर में कैब ड्राइवर के रूप में काम करता था. जहां उसकी मुलाकात एक आईएसआई हैंडलर से हुई थी. इसके बाद उसे पाकिस्तान ले जाया गया, जहां आईएसआई के सीनियर अधिकारियों ने कई दिनों तक उसका ब्रेनवॉश किया और खास ट्रेनिंग दी. अंसारुल को नेपाल के रास्ते दिल्ली भेजा गया, ताकि वह भारत में आईएसआई की साजिश को अंजाम दे सके. उसका मुख्य मिशन भारतीय सेना से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को एकत्र कर उन्हें पाकिस्तान भेजना था.
रांची से सहयोगी की गिरफ्तारी
अंसारुल से पूछताछ के आधार पर केंद्रीय एजेंसियों ने रांची से अखलाख आजम को भी गिरफ्तार किया है. अखलाख आईएसआई के अधिकारियों तक भारतीय सेना के दस्तावेजों को पाकिस्तान पहुंचाने में अंसारुल की मदद कर रहा था. इस पूरे नेटवर्क के तार दिल्ली से लेकर रांची तक फैले हुए थे, जिसे केंद्रीय एजेंसियों ने अपनी सतर्कता और खुफिया ऑपरेशन से तोड़ दिया है.
पहलगाम हमले से पहले की साजिश
ये खुलासा ऐसे समय में हुआ है, जब पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया. 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी, जिसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया. इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया. भारतीय सेना का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है.
केंद्रीय एजेंसियों का मानना है कि दिल्ली में स्लीपर सेल नेटवर्क का ये खुलासा पहलगाम हमले से पहले की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था, जिसे वक्त रहते नाकाम कर दिया गया.
क्या है स्लीपर सेल?
स्लीपर सेल ऐसे व्यक्ति या समूह होते हैं जो लंबे वक्त तक सामान्य नागरिक की तरह रहते हैं, लेकिन किसी बड़े हमले या जासूसी के लिए सक्रिय हो जाते हैं. अंसारुल जैसे एजेंट्स को विशेष रूप से ट्रेनिंग देकर किसी देश में भेजा जाता है, जहां उन्हें संवेदनशील जानकारी इकट्ठा करने और आतंकी साजिश को अंजाम देने में मदद करने के लिए भेजा जाता है.