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जेल में बंद संत चिन्मय दास के मामले की सुनवाई कल, इस्कॉन ने की न्याय की अपील..

बांग्लादेश के जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर गुरुवार को सुनवाई होगी. उनकी जमानत पर चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश की अदालत में सुनवाई होगी, लेकिन चिन्मय कृष्ण दास के वकील रवींद्र घोष कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती हैं. इस कारण उनके हाजिर होने की संभावना बहुत ही कम है. इस बीच, अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने न्याय की उम्मीद जताई है.

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बता दें कि 27 नवंबर को ढाका पुलिस ने चिन्मय कृष्ण दास ढाका से चटगांव जाते वक्त शाहजलाल एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया था. अगले दिन चटगांव अदालत में उनके मामले की सुनवाई को लेकर अदालत परिसर में हंगामा हुआ. इस दौरान सैफुल इस्लाम अलिफ नाम के एक वकील की मौत हो गई थी.

इससे पहले बांग्लादेश की जेल में बंद चिन्मय कृष्ण दास के वकील रवींद्र घोष को बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में इलाज चल रहा है.

चिन्मय कृष्ण दास के वकील कोलकाता के अस्पताल में भर्ती

वकील चिन्मय कृष्ण दास को मंगलवार शाम को सीने में दर्द के कारण कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया था. शारीरिक बीमारी के कारण वह 2 जनवरी को चटगांव कोर्ट में राजद्रोह के मामले में जेल में बंद चिन्मय कृष्णा की सुनवाई में शामिल नहीं हो पाएंगे.

नए साल की पूर्व संध्या पर रवीन्द्र घोष की शारीरिक स्थिति बिगड़ गई. उन्हें तुरंत एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया. मालूम हो कि फिलहाल वकील की शारीरिक स्थिति स्थिर है. चिन्मय कृष्ण दास के वकील, अट्ठाईस वर्षीय रवींद्र घोष, कुछ हफ़्ते पहले चिकित्सा कारणों से भारत आए थे. वह बैरकपुर में अपने बेटे के घर पर रह रहे थे. वरिष्ठ वकील ने भारत आकर शिकायत की कि चटगांव कोर्ट में उपस्थित कुछ वकीलों का व्यवहार आतंकवादियों जैसा था! उन्हें घायल होना पड़ा. इसलिए वह इलाज के लिए कोलकाता आ गए.

कोलकाता इस्कॉन ने जताई न्याय की आशा

दूसरी ओर, राधारमण दास ने कहा कि इस्कॉन के भिक्षुओं ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए प्रार्थना किया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि चिन्मय कृष्ण दास को न्याय मिलेगा.

उन्होंने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान वकील को हाजिर होने नहीं दिया गया था. इस बार उम्मीद है कि वकील को अनुमति दी जाएगी. यदि वकील के साथ मारपीट की जाती है, तो बांग्लादेश सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी.

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