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ISRO SPADEX: कल अंतरिक्ष में ISRO करेगा बड़ा ‘धमाका’, जानें क्यों खास है ये मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सोमवार रात 9:58 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए दो उपग्रहों को लॉन्च करेगा. यह मिशन भारत के लिए बेहद जरूरी है. क्योंकि इसके जरिए भारत अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का सफल परीक्षण करने वाले देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा. इस उपलब्धि के बाद भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जो इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग करेगा.8

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इस मिशन को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स) नाम दिया गया है, जिसके तहत एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02 नाम के दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया जाएगा. इन उपग्रहों को 476 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. उपग्रहों के सफल लॉन्चिंग के बाद, जनवरी 2025 के पहले सप्ताह से इन उपग्रहों के जरिए अंतरिक्ष में जोड़ने और अलग करने (डॉकिंग और अनडॉकिंग) की तकनीक का परीक्षण शुरू होगा.

अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद खास

डॉकिंग तकनीक का महत्व अंतरिक्ष अभियानों में बेहद खास है. यह तकनीक अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़ने की क्षमता प्रदान करती है. इसका उपयोग लंबे समय तक चलने वाले अंतरिक्ष अभियानों, मानवयुक्त मिशनों, और अंतरिक्ष यानों में आपूर्ति भेजने जैसे महत्वपूर्ण कामों में होता है. इसरो का स्पेडेक्स मिशन न केवल भारत के लिए अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नई शुरुआत है, बल्कि यह भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी मार्ग प्रशस्त करेगा.

इसरो का भरोसेमंद लॉन्चर चुना गया

पीएसएलवी-सी60 रॉकेट इस मिशन के लिए चुना गया है. ये इसरो का प्रमुख और भरोसेमंद लॉन्चर है. यह रॉकेट पहले भी कई महत्वपूर्ण मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है. इसरो ने बताया कि स्पेडेक्स मिशन के माध्यम से डॉकिंग तकनीक का परीक्षण और विकास भारत के अंतरिक्ष अभियानों को आत्मनिर्भर और उन्नत बनाएगा. यह मिशन इसरो की तकनीकी क्षमता और वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा.

मिशन पर सभी देशों की नजरें

इसरो के स्पेडेक्स मिशन को लेकर न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उत्सुकता है. इस मिशन की सफलता भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के नए आयामों की ओर ले जाएगी. यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान को और मजबूत करेगा और भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों के लिए ठोस आधार तैयार करेगा. इसरो की इस नई पहल ने एक बार फिर भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के वैश्विक मंच पर एक मजबूत उपस्थिति दिलाने का वादा किया है.

 

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