Apple की भारत में मैन्युफैक्चरिंग योजना को बड़ा झटका लगा है। Foxconn की टेलंगाना फैक्ट्री, जहां Apple के AirPods बनाए जाते हैं, वहां उत्पादन में रुकावट आ गई है। वजह है एक खास रेयर-अर्थ मेटल Dysprosium की कमी, जिसे चीन एक्सपोर्ट करता है। फिलहाल चीन ने इस मेटल के निर्यात पर रोक लगा दी है, जिससे भारत में AirPods प्रोडक्शन धीमा हो गया है।
तेलंगाना की फैक्ट्री और प्रोडक्शन की चुनौती
Foxconn Interconnect Technology (FIT) का प्लांट तेलंगाना के कोन्गरा कलां में स्थित है, जो हैदराबाद से करीब 45 किलोमीटर दूर है। इस प्लांट को Apple की भारत में मैन्युफैक्चरिंग रणनीति में एक अहम कड़ी माना जाता है। लेकिन Dysprosium की कमी ने यहां उत्पादन को धीमा कर दिया है।
चीन की पॉलिसी का असर
दरअसल, चीन ने अप्रैल 2025 में सात महत्वपूर्ण रेयर-अर्थ मेटल्स—Samarium, Dysprosium, Terbium आदि—के एक्सपोर्ट पर नियंत्रण लगा दिया। यह फैसला अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में लिया गया। अब Foxconn को Dysprosium मंगाने के लिए चीन की सरकारी मंजूरी लेनी होगी, जो अब तक नहीं मिली है।
सरकारी स्तर पर कोशिशें जारी
Foxconn ने तेलंगाना सरकार से इस संकट को लेकर मदद मांगी थी। इसके बाद मामला केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) और विदेश मंत्रालय तक पहुंचा है। EUC (End User Certificate) भी तैयार कर लिया गया है, लेकिन चीनी सरकार की स्वीकृति अब तक लंबित है।
Dysprosium क्यों है जरूरी?
Dysprosium का इस्तेमाल Neodymium मैग्नेट को उच्च तापमान पर स्थिर बनाए रखने के लिए किया जाता है। यही कारण है कि यह मेटल AirPods जैसे हाई-परफॉर्मेंस डिवाइसेस के लिए आवश्यक होता है। इसके अलावा इसका उपयोग मिलिट्री कम्युनिकेशन और लेजर सिस्टम्स में भी होता है।
Foxconn की स्थिति और उम्मीदें
Foxconn ने फिलहाल उत्पादन बंद नहीं किया है। कंपनी अपने स्टॉक में बचे हुए मटेरियल से धीरे-धीरे काम चला रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई के अंत तक चीन से एक्सपोर्ट की अनुमति मिल जाएगी, जिससे स्थिति सामान्य हो सकेगी।
भारत सरकार की रणनीति
यह मामला अब बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से चीनी अधिकारियों के सामने उठाया गया है। भारत सरकार को ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री की ओर से भी इसी तरह की शिकायतें मिल रही हैं।
चीन का रेयर-अर्थ वर्चस्व
चीन दुनिया का सबसे बड़ा रेयर-अर्थ मेटल उत्पादक है। इन मेटल्स का इस्तेमाल EVs, विंड टर्बाइन्स, रोबोटिक्स और डिफेंस सिस्टम्स जैसे क्षेत्रों में होता है। 18 जुलाई को चीन ने साल 2025 की पहली माइनिंग कोटा रिपोर्ट भी जारी की, जिससे उसके संसाधन नियंत्रण की स्थिति और स्पष्ट हो गई है।
Apple की भारत में मैन्युफैक्चरिंग कोशिशें फिलहाल चीन की रेयर-अर्थ पॉलिसी से प्रभावित हैं। भविष्य में भारत को इन जरूरी मटेरियल्स के वैकल्पिक स्रोत तलाशने होंगे, वरना टेक्नोलॉजी सेक्टर ऐसी वैश्विक राजनीतिक चालों के चलते बार-बार संकट में पड़ता रहेगा।