World Cancer Day 2025: कैंसर को पहली स्टेज में पहचानना मुश्किल, मगर AI ने किया आसान, व‍िशेषज्ञों से जानिए

दुन‍िया भर में कैंसर रोग‍ियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. इस रोग से जूझ रहे मरीजों को हमेशा यह दुख रहता है कि उन्हें अपने रोग का पहली स्टेज में पता नहीं चल पाया. बहुत कम मामलों में ही ऐसा हो पाता है कि मरीज पहले डायग्नोसिस में ही कैंसर रोग के बारे में जानकर उसका इलाज शुरू कर देते हैं. लेकिन, आधुन‍िक चिकित्सा में एआई के कदम पड़ते ही तस्वीर बदलती नजर आ रही है. व‍िशेषज्ञ मानते हैं कि एआई अर्ली डायग्नोसिस में बहुत मददगार हो सकता है, इससे कैंसर की तीव्रात्मकता पर काबू पाने में मदद मिलेगी. आइए जानते हैं कि कैसे कारगर होगा एआई का इस्तेमाल…

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फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ.अनुशील मुंशी का कहना है कि दुनिया भर में कैंसर की व्यापकता तेजी से बढ़ रही है. पिछले दो दशकों में कैंसर के शुरुआती निदान और पता लगाने के तौर-तरीकों में काफी सुधार हुआ है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चिकित्सा और ऑन्कोलॉजी में अब बड़ी भूमिका निभा रहा है.

कैसे डायग्नोस‍िस के पुराने तरीकों से बेहतर है एआई
डॉ.अनुशील मुंशी कहते हैं कि कैंसर के शुरुआती निदान और इसका पता लगाने में AI की जांच के रोल को लेकर महत्वपूर्ण शोध किए गए हैं. AI बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करके यह कर पाता है. जैसे कि मेडिकल इमेज, जेनेटिक जानकारी और मरीज़ों के इतिहास आदि का बहुत तेजी से अध्ययन करना, जोकि पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं है. दरअसल AI एल्गोरिदम, विशेष रूप से डीप लर्निंग (DL) मॉडल, मेडिकल इमेजिंग विश्लेषण की सटीकता को बढ़ाते हैं. ये शुरुआती चरण के ट्यूमर का पता लगा सकते हैं जो असल में पारंपरिक तरीकों से छूट सकते हैं.

स्तन कैंसर के मैमोग्राम में मिली जगह
डॉ.अनुशील मुंशी आगे कहते हैं कि इस एप्लिकेशन को पहले ही स्तन कैंसर के लिए मैमोग्राम की स्क्रीनिंग में जगह मिल चुकी है. कैंसर के डेवलेप होने के र‍िस्क की भविष्यवाणी करने में भी AI का रोल है. जीनोमिक्स में, AI कैंसर का संकेत देने वाले आनुवंशिक उत्परिवर्तन को ठीक से पहचान सकता है. इसी कारण पहले हस्तक्षेप संभव हो पाता है. इसके अतिरिक्त, AI का उपयोग रक्त परीक्षणों में बायोमार्कर का विश्लेषण करने और एटेमिक लेवल पर कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता है.
सावधानी के तौर पर, अब एआई सिस्टम को इस फील्ड के लिए और अच्छी तरह से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है. फिर भी खुशी की बात यह है कि आने वाले समय में एआई का रोल रोग को पहले स्टेज में ही पहचानने और उसकी रोकथाम से लेकर कैंसर के मैनेजमेंट में भी हेल्पफुल होने वाली है.

बहुत सटीक रिजल्ट दे रहा AI
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड के चीफ साइंट‍िफ‍िक एंड इनोवेट‍िव ऑफ‍िसर और सीन‍ियर ऑन्कोपैथोलॉजिस्ट डॉ. कीर्ति चड्ढा भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को कैंसर के डायग्नोसिस को अर्ली स्टेज में महत्वपूर्ण मानते हैं. वो कहते हैं कि एआई इसमें बहुत सटीकता के साथ रोगी के डायग्नोसिस रिजल्ट दे रहा है. AI-संचालित एल्गोरिदम इमेजिंग स्कैन, पैथोलॉजी स्लाइड और जेनेटिक प्रोफाइल तमाम डेटा का व‍िश्लेषण करके अक्सर लक्षण दिखाई देने से पहले अर्ली डायग्नोसिस कर लेता है.

एआई अब मशीन लर्निंग मॉडल, खास तौर पर रेडियोलॉजी में, मैमोग्राम, सीटी स्कैन और एमआरआई में ट्यूमर का अधिक सटीकता से पता लगाने में हेल्प करते हैं, जिससे गलत रिजल्ट की गुजाइंश कम होती है. एआई-संचालित पैथोलॉजी उपकरण सूक्ष्म स्तर पर ऊतक के नमूनों का विश्लेषण करके सटीकता से निदान देते हैं. ये सॉफ्ट और घातक कोशिकाओं के बीच अधिक बारीकी से अंतर करते हैं.

लिक्विड बायोप्सी एनालिस‍िस में भी क्रांत‍ि ला रहा AI
डॉ. कीर्ति चड्ढा का कहना है कि इमेजिंग से भी कहीं आगे AI लिक्विड बायोप्सी एनालिस‍िस में क्रांति ला रहा है. एआई आसानी से उस ब्लड सैंपल में भी कैंसर बायोमार्कर की पहचान कर रहा है जिसमें मरीज में उतने शुरुआती लक्षण नहीं हैं. इसके अतिरिक्त, AI द्वारा आनुवंशिक और जीवनशैली कारकों आद‍ि के आधार पर व‍िश्लेषण करके किसी व्यक्ति में कैंसर के र‍िस्क का आकलन करने में मदद करता है. इससे डॉक्टर आसानी से अधिक विश्वसनीय तौर पर कैंसर का पता लगाकर वक्त रहते ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं. इससे जीवित रहने की दर में सुधार कर सकते हैं.

एआई ने जगाई नई उम्मीद
सर गंगाराम हॉस्प‍िटल द‍िल्ली में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के चेयरमैन डॉ श्याम अग्रवाल कैंसर का अर्ली ड‍िटेक्शन के अलावा कैंसर रोग में एआई के कई लाभ ग‍िनाते हैं. वो कहते हैं कि एआई पर्सनलाइज्ड मेड‍िस‍िन और रोगी को बेहतर पर‍िणाम देने में भी मदद करता है. Google के LYNA, IBM के वाटसन फॉर ऑन्कोलॉजी और स्टैनफोर्ड के चेक्सनेट जैसे एआई-संचालित उपकरणों ने विभिन्न प्रकार के कैंसर का पता लगाने में जबरदस्त सटीकता द‍िखाई है. डॉ अग्रवाल का कहना है कि जैसे-जैसे एआई तकनीक विकसित होती जा रही है, हम कैंसर का पता लगाने और उपचार में और भी अधिक इनोवेट‍िव एप्लीकेशंस को देखने की उम्मीद कर सकते हैं.

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