उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने फ्रीबीज को लेकर अहम बात की. उन्होंने कहा, फ्रीबीज को लेकर विचार करने की जरूरत है. जगदीप धनखड़ ने कहा, प्रलोभन तंत्रों पर, तुष्टिकरण पर, जिसे अक्सर फ्रीबीज के रूप में जाना जाता है, इस सदन को विचार करने की जरूरत है क्योंकि देश सिर्फ तभी प्रगति करता है जब पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) उपलब्ध हो.
धनखड़ ने कहा, चुनावी प्रक्रिया ऐसी हो गई है कि ये चुनावी प्रलोभन बन गए हैं और इसके बाद सत्ता में आई सरकारों को इतनी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा कि वो अपनी सोच पर पुनर्विचार करना चाहती थीं. एक राष्ट्रीय नीति की बेहद जरूरत है ताकि सरकार के सभी निवेश किसी भी रूप में बड़े हित में इस्तेमाल किए जाएं.
विधायकों – सांसदों के वेतन को लेकर क्या कहा?
जगदीप धनखड़ ने विधायकों और सांसदों के वेतन को लेकर कहा, हमारे संविधान में विधायिका, सांसदों, विधायकों के लिए प्रावधान किया गया था, लेकिन एक समान तंत्र नहीं था. इसलिए, आप देखेंगे कि कई राज्यों में विधानसभाएं सदस्यों को सांसदों की तुलना में अधिक भत्ते और वेतन देती हैं और यहां तक कि पूर्व विधायकों की पेंशन में भी 1 से 10 तक का अंतर है. अगर एक राज्य में किसी को एक रुपया मिलता है, तो दूसरे राज्य में पेंशन 10 गुना हो सकती है. इसलिए, ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें कानून के माध्यम से हल किया जा सकता है और इससे राजनेताओं, सरकार, कार्यपालिका को फायदा होगा और यह उच्च गुणवत्ता वाले निवेश को भी सुनिश्चित करेगा.
किसानों को लेकर क्या कहा?
उपराष्ट्रपति ने कहा, अगर कृषि क्षेत्र जैसी जरूरतों के लिए सब्सिडी की जरूरत है, तो इसे सीधे दिया जाना चाहिए और यही विकसित देशों में प्रचलित है. मैंने अमेरिकी प्रणाली की जांच की. अमेरिका में हमारे देश की तुलना में 1/5वां कृषि परिवार है, लेकिन वहां औसत कृषि परिवार की आय अमेरिका के सामान्य परिवार की आय से ज्यादा है और इसकी वजह यह है कि वहां किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी सीधी, पारदर्शी और बिना किसी बिचौलिए के दी जाती है.
उन्होंने आगे कहा, मुझे संविधान सभा की बहस याद आ रही है जहां एक प्रतिष्ठित सदस्य, श्री सिधवा, संसद की न्यायाधीशों को हटाने की शक्ति पर विचार कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बिना बाकी तत्वों की जांच किए शक्ति प्राप्त करना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन, विश्वास कीजिए, उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि न्यायाधीशों की संख्या बढ़ेगी और हम एक भी मामले को सफलतापूर्वक निष्पादित नहीं कर पाएंगे.