‘सिर्फ CIBIL रेटिंग के आधार पर नौकरी छीन लेना न्यायसंगत नहीं…’, कार्ति चिदंबरम ने उठाए सवाल

क्रेडिट स्कोर एजेंसी CIBIL की रेटिंग को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है. हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा एक कैंडिडेट की नियुक्ति रद्द करने के फैसले को सही ठहराया और SBI द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. इस मामले में कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने आपत्ति जताई है. दरअसल, SBI ने संबंधित कैंडिडेट की नौकरी छीनने के पीछे यह तर्क दिया था कि उसकी CIBIL रिपोर्ट में लोन चुकाने को लेकर कुछ वित्तीय अनुशासनहीनता पाई गई है.

मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि बैंकिंग जैसे संवेदनशील क्षेत्र में काम करने वालों से वित्तीय अनुशासन की उम्मीद की जाती है. वहीं, कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने इस फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई है. उन्होंने CIBIL स्कोर की वैधता और प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं.

‘CIBIL एक प्राइवेट कंपनी, न्यायिक संस्था नहीं’

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने X पर पोस्ट में लिखा, यह फैसला बेहद चिंताजनक है. CIBIL एक निजी संगठन है, जिसे ट्रांसयूनियन नाम की एक अमेरिकी कंपनी कंट्रोल करती है. इसकी रेटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है और न ही कोई प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली है. मैंने इस विषय को संसद में और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर बार-बार उठाया है. इस संबंध में आर्टिकल भी लिखे हैं. नौकरी देने या छीनने का निर्णय सिर्फ CIBIL रेटिंग पर आधारित होना घोर अन्याय है. कार्ति चिदंबरम का कहना था कि CIBIL जैसी एजेंसियों को इतना निर्णायक अधिकार देना उचित नहीं ठहराया जा सकता. खासकर तब जब उनके पास जवाबदेही या पारदर्शिता का कोई स्पष्ट ढांचा नहीं है.

 

अदालत ने कहा, वित्तीय अनुशासन जरूरी

रिपोटर्स के मुताबिक, मामले में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उसने SBI में सर्कल बेस्ड ऑफिसर (CBO) पद के लिए परीक्षा, इंटरव्यू, मेडिकल टेस्ट और डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन समेत सभी राउंड सफलतापूर्वक पार कर लिए थे और उसे नियुक्ति पत्र भी मिल गया था, लेकिन नियुक्ति से ठीक पहले बैंक ने CIBIL रिपोर्ट में ‘ऋण चुकाने में अनियमितताओं’ के आधार पर उसकी नियुक्ति रद्द कर दी.

इस संबंध में बैंक का कहना था कि उसने CIBIL और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया कि ऐसे अभ्यर्थी, जिनकी वित्तीय साख कमजोर रही है, सार्वजनिक धन के प्रबंधन के लिए उपयुक्त नहीं माने जा सकते.

अदालत ने भी बैंक के इस तर्क को सही ठहराया और कहा, बैंक ने यह उचित समझा कि जिन अभ्यर्थियों का लोन रीपेमेंट रिकॉर्ड खराब है, उन्हें नियुक्त न किया जाए. सार्वजनिक धन के साथ काम करने वालों में वित्तीय अनुशासन होना बेहद जरूरी है.

Advertisements
Advertisement