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‘जनता का मूड समझने में उन्हें वक्त लगेगा’, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ पर अजित पवार को फडणवीस की खरी-खरी

महाराष्ट्र (Maharashtra) में विधानसभा चुनाव के चलते सियासी सरगर्मी अपने चरम पर है. इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ बयान भी सूबे की राजनीति चर्चा की वजह बना हुआ है. अब डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ पर अजित पवार के बयान का जवाब दिया है. उन्होंने कहा, “दशकों तक अजित पवार ऐसी विचारधाराओं के साथ रहे, जो सेक्युलर और हिंदू विरोधी हैं. खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वालों में कोई वास्तविक धर्मनिरपेक्षता नहीं है. वे ऐसे लोगों के साथ रहे हैं, जिनके लिए हिंदुत्व का विरोध करना ही धर्मनिरपेक्षता है.”

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फडणवीस ने अजित पवार का जिक्र करते हुए कहा, “उन्हें जनता का मूड समझने में थोड़ा वक्त लगेगा. ये लोग या तो जनता की भावना को नहीं समझ पाए या इस बयान का मतलब नहीं समझ पाए या बोलते समय शायद कुछ और कहना चाहते थे.”

‘जातियों में बांटने की कोशिश’

प्रधानमंत्री मोदी के ‘महाराष्ट्र में कांग्रेस ओबीसी समुदाय को बांटने की कोशिश कर रही है’ वाले बयान पर कहा फडणवीस ने कहा, “राहुल गांधी अमेरिका में इसका संकेत दे चुके हैं. संविधान और आरक्षण पर अमेरिका में दिए गए उनके बयानों से उनकी मानसिकता सामने आई. जिस तरह से वे लोगों को जातियों में बांटने की कोशिश कर रहे हैं, पीएम मोदी ने सही बात कही है. महाराष्ट्र में ओबीसी में 350 जातियां हैं. ये 350 जातियां मिलकर ओबीसी समूह बनाती हैं, इसलिए एक दबाव समूह है कि ओबीसी का कल्याण किया जाना चाहिए.”

उन्होंने आगे कहा कि अगर 350 जातियां अलग हो जाती हैं, तो यह समूह नहीं रहेगा और उनका दबाव खत्म हो जाएगा. जिस तरह से ‘भारत जोड़ो’ का गठन हुआ है, वो अराजकतावादियों का समुदाय है. वो ‘भारत जोड़ो’ नहीं हैं, वो भारत को समुदायों में बांटना चाहते हैं और फिर भारत को तोड़ना चाहते हैं.

‘यह कैसी राजनीति है?’

उलेमा बोर्ड के पत्र मामले पर देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “महा विकास अघाड़ी ने मुस्लिम उलेमाओं के तलवे चाटने शुरू कर दिए हैं. अभी उलेमा काउंसिल ने उन्हें अपना समर्थन देने का ऐलान किया है, उन्होंने 17 मांगें रखी थीं और एमवीए ने औपचारिक पत्र दिया है कि हम उन 17 मांगों को स्वीकार करते हैं. मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है, अगर कोई कोई मांग रखता है, अगर कोई कोई मांग स्वीकार करता है. उनमें से एक मांग यह भी है कि 2012 से 2024 तक महाराष्ट्र में हुए दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों पर जो मामले दर्ज किए गए थे, उन्हें वापस लिया जाए. यह कैसी राजनीति है?

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