जबलपुर: संस्कारधानी में रिश्तों को शर्मसार करने वाला सनसनीखेज मामला सामने आया है. टीआई मदन महल संगीता सिंह ने बताया कि छोटे भाई अभिलाष श्रीवास्तव ने बड़े भाई अविनाश श्रीवास्तव को धोखा देकर 45 लाख रुपए हड़प लिए. दोनों भाई वर्षों से रेलवे की ठेकेदारी में पार्टनर थे. फर्म में अविनाश की 80% और अभिलाष की 20% हिस्सेदारी थी. लेकिन पांच माह पहले अभिलाष ने लालच में आकर अपने बड़े भाई का फर्जी त्यागपत्र डीड तैयार किया.
नकली डीड के आधार पर खेल-
इस नकली डीड के आधार पर अभिलाष ने अपनी पत्नी और खुद को 50-50 प्रतिशत हिस्सेदार बताते हुए नई डीड बैंक और रेलवे दोनों जगह लगाई. बैंक को गुमराह कर ऐसा दिखाया गया मानो बड़े भाई ने खुद ही पार्टनरशिप छोड़ दी हो. इसके बाद रेलवे भुगतान से जुड़े 45 लाख रुपए बैंक में ट्रांसफर कराए गए और रकम निकाल ली गई.

रीडर बना रहा था समझौते का दबाव-
सूत्रों के मुताबिक बताया जाता है कि जब बड़े भाई अविनाश को इसकी भनक लगी तो उन्होंने मदन महल थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन छोटे भाई ने पुलिस और रेलवे अधिकारियों को गुमराह करते हुए कार्रवाई टलवाते रहा। इस बीच सीएसपी कोतवाली के रीडर अमित जायसवाल और अभिलाष की गहरी दोस्ती भी सामने आई. सूत्र बताते हैं कि इस दोस्ती का फायदा उठाकर बार-बार अविनाश पर समझौते का दबाव बनाया गया और थाने में कार्रवाई अटकाई गई.
दो टीआई बदल गए-
दो बार टीआई बदलने के बाद भी मामला दबा रहा। थक-हारकर अविनाश ने पुलिस कप्तान और डीआईजी तक गुहार लगाई। तब जाकर फर्जी डीड को भोपाल भेजकर हस्ताक्षरों की जांच कराई गई। दो दिन पहले आई रिपोर्ट ने पूरे खेल का खुलासा कर दिया.
सत्ता-सिस्टम की धौंस बनी दीवार-
अब सवाल उठता है कि जब शिकायत महीनों से थाने में दर्ज थी तो आखिर क्यों कार्रवाई नहीं हुई? क्या पुलिस-रेलवे अफसरों की मिलीभगत से अभिलाष को संरक्षण मिला? पीड़ित भाई न्याय की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन सत्ता-सिस्टम की धौंस उसके लिए सबसे बड़ी दीवार बनी हुई है.
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