जबलपुर: पौधारोपण कार्यक्रम में सांसद और सात में से छह विधायक रहे अनुपस्थित, पार्टी के अंदरूनी समीकरणों पर उठे सवाल!

 

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जबलपुर: प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के प्रथम नगर आगमन से पहले शुरू हुआ पोस्टर विवाद अभी थमा नहीं था कि भाजपा संगठन के भीतर की एक और परत खुल गई. समरसता सेवा संगठन की अगुवाई में घुघरा जलप्रपात और गोपालपुर में आयोजित सर्व समाज के वृहत पौधारोपण कार्यक्रम में भाजपा के अधिकांश जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति ने संगठन के आंतरिक समीकरणों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

पौधारोपण कार्यक्रम में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, पाटन विधायक नीरज सिंह, भाजपा महानगर अध्यक्ष रत्नेश सोनकर और वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. जितेंद्र जामदार उपस्थित रहे। लेकिन शहर के एक सांसद और सात में से छह विधायक इस सामाजिक एवं पर्यावरणीय आयोजन से अनुपस्थित रहे. कार्यक्रम की अगुवाई भाजपा के पूर्व मीडिया प्रभारी और नगर अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार संदीप जैन ने की, जो अपनी स्वच्छ छवि और सर्व समाज में स्वीकार्यता के लिए जाने जाते हैं.

जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति बनी चर्चा-
गौरतलब है कि इस कार्यक्रम का राजनीतिक रंग नहीं था. इसमें पीपल, बरगद, रुद्राक्ष, नीम, बेल, आम, चीकू, जामुन सहित 1500 से अधिक पौधों का रोपण किया गया, जिसमें नगर परिषद भेड़ाघाट, सामाजिक संस्थाएं और अनेक वर्गों के नागरिकों ने भागीदारी की. “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत आयोजित इस कार्यक्रम को व्यापक जनसमर्थन मिला, लेकिन जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं.

हर मंच पर दिखती थी संयुक्त उपस्थिति-
पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठन जब केवल “एक केंद्र” या “एक चेहरे” के इर्द-गिर्द सिमटता है तो भीतर असंतोष स्वाभाविक रूप से पनपता है. यह वही जबलपुर है, जहां पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के समय संगठन और सत्ता के बीच संतुलन बना रहता था। ग्रामीण क्षेत्र से अजय विश्नोई जैसे नेता मंत्री थे, और हर मंच पर संयुक्त उपस्थिति दिखती थी.

एकरूपी सोच और स्थानीय नेताओं की उपेक्षा-
अब वही जबलपुर भाजपा नेतृत्व की एकरूपी सोच और स्थानीय नेताओं की उपेक्षा के चलते आंतरिक खिंचतान के दौर से गुजरती नजर आ रही है. पोस्टर फाड़ने की घटना, कार्यक्रमों में गुटबंदी और अब पौधारोपण जैसे सामाजिक आयोजन में भी नेतृत्व का अनुपस्थित रहना संगठन की अंदरूनी स्थिति को उजागर करता है.

केंद्रीय नेतृत्व को करना होगा गौर-
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस रिपोर्ट को गंभीरता से ले, ऐसा माहौल बन चुका है. पार्टी कार्यकर्ता और आमजन यही पूछ रहे हैं कि जब सामाजिक सद्भाव और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर भी संगठन एकजुट नहीं हो पा रहा, तो भविष्य में जनता की अपेक्षाओं पर कैसे खरा उतरेगा?

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