जबलपुर: खितौला के इंसाफ स्मॉल फाइनेंस बैंक में 11 अगस्त को हुई डकैती किसी फिल्मी सीन से कम नहीं थी। हथियारबंद बदमाश दिनदहाड़े बैंक से 14.8 किलो सोना और 5 लाख रुपए लूटकर फरार हो गए। लेकिन फिल्म का असली हीरो निकली जबलपुर पुलिस, जिसने 20 दिनों की दिनरात मेहनत के बाद गैंग के सरगना बिहार के गया जिला निवासी 38 वर्षीय राजेश दास उर्फ आकाश दास को उसके मददगार साथी गया निवासी 26 वर्षीय इंद्रजीत दास उर्फ सागर दास के साथ दबोच लिया। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर 3 किलो सोना और 50 हजार नगदी बरामद कर ली.

दमोह ठिकाना फिर अलग-अलग भागने की चाल-
डकैती के तुरंत बाद गैंग दमोह पहुंचा और वहां से सब अलग-अलग रास्तों पर छिप गए. यह खुलासा पुलिस के लिए अहम रहा. इसी से जांच की दिशा बदली और टीम को ठिकानों तक पहुंचने का रास्ता मिला। पहली बार इस डकैती में सोना बरामद हुआ, जो पीड़ित जनता के लिए राहत की खबर है.
फिल्मी अंदाज वाला अपराधी-
राजेश दास का स्टाइल किसी बॉलीवुड विलेन से कम नहीं था। वह हमेशा से मोबाइल से दूरी बनाए रखता था। जिसकी वजह से पुलिस को आरोपी तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं था। पुलिस के जाल से बचने का यह अनोखा तरीका लंबे समय तक कारगर रहा, लेकिन ज्यादा दिन टिक नहीं पाया.
ऐसे टूटा गैंग का शिकंजा-
जबलपुर पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों और स्थानीय सुरागों से आरोपी रईस को पकड़ा। उसकी लोकेशन ने ही राजेश तक पहुंचने का रास्ता खोला। इसके बाद इस गिरोह का एक मददगार इंद्रजीत गया जिले के गुरुवा थाना इलाके से पुलिस के हत्थे चढ़ा। जिसने पूछताछ में डोभी थानांतर्गत सरगना राजेश के छुपने का ठिकाना बताया। घेराबंदी कर राजेश को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने डकैती की बात कबूल की और खेत में छुपाया सोना बरामद कराया.
जेल में बनी थी साजिश-
पुलिस कप्तान संपत उपाध्याय ने पत्रकार वार्ता में खुलासा किया कि राजेश रायगढ़ बैंक डकैती मामले में जेल में बंद था और वहीं से उसने खितौला वारदात की पूरी प्लानिंग बनाई थी। 18 जून को ही जेल से छूटा था और 11 अगस्त को सीधे डकैती की वारदात को अंजाम दिया.
राजेश दास 2011 से लेकर अब तक बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों गया, सासाराम, जमुई, पुरुलिया रोहतास, गिरडी, रायगढ़ में हुई एक दर्जन से ज्यादा बैंक डकैतियों में शामिल रहा है. उसके ऊपर 12 मामले दर्ज हैं। हर बार पुलिस को छकाता रहा, लेकिन इस बार जबलपुर पुलिस ने उसकी सारी चालें नाकाम कर दीं.
बाकी आरोपी भी जल्द सलाखों में-
कप्तान उपाध्याय ने कहा कि पुलिस की प्राथमिकता जनता की मेहनत की कमाई को सुरक्षित लौटाना था और इसमें सफलता मिली। गैंग के बाकी सदस्य भी जल्द गिरफ्त में होंगे.
पुलिस की फिल्मी स्क्रिप्ट जैसी सफलता-
इस सफलता में आईजी प्रमोद वर्मा, डीआईजी अतुल सिंह के मार्गदर्शन और पुलिस कप्तान संपत उपाध्याय की सतत मॉनीटरिंग में क्राइम ब्रांच और कई थानों की संयुक्त टीमों ने जी-जान से काम किया. मैदानी स्तर पर एएसपी क्राइम जितेंद्र सिंह के साथ डीएसपी क्राइम उदयभान सिंह बागरी, एसडीओपी सिहोरा प्रशिक्षु आईपीएस आदित्य सिंघारिया, सीएसपी बरगी अंजुल अयंक मिश्रा एवं सीएसपी रांझी सतीश साहू जुटे थे। दमोह से लेकर बिहार तक फैला यह ऑपरेशन किसी फिल्मी स्क्रिप्ट जैसा रहा लेकिन अंत में जीत कानून की हुई.
Advertisements