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जगदलपुर नगरीय निकाय चुनाव: कांग्रेस और भाजपा में उभर रहे हैं नए चेहरों की चर्चा, आरक्षण पर सस्पेंस

प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा में तैयारियों के साथ बैठकों का दौर जारी है। इसे लेकर नगरीय निकाय जगदलपुर में भी उत्साह चरम पर है। हालांकि अभी आरक्षण का अता- पता नहीं है कि, महापौर पद की सीट किस वर्ग के लिए होगी? महिला के लिए आरक्षित होगी, कि पिछड़ा वर्ग अथवा सामान्य के लिए?

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खैर, सीट आरक्षण का विषय समय के गर्भ में छिपा हुआ है, जिसका पता समय आने पर ही चलना है। कांग्रेस और भाजपा की वर्तमान परिस्थितियों की बात करें तो फिलहाल नगरीय निकाय चुनाव के मद्देनजर भाजपा के लिए जगदलपुर में परिस्थिति अनुकुल नजर आ रही है। क्योंकि, केंद्र और राज्य के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी सांसद और विधायक दोनों ही नेता भाजपा से हैं। एवं विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस की महापौर सफिरा साहू भी पूरे दल-बल के साथ भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। इस प्रकार वर्तमान में जगदलपुर नगरीय निकाय में भाजपा की ही सरकार स्थापित है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को फिर से अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए होने वाले निकाय चुनाव में किसी मजबूत चेहरे पर अपना दांव लगाना होगा, जो कांग्रेस का विजयी परचम लहराकर भाजपा को करारी शिकस्त दे सके।

परिस्थितियों के लिहाज़ से इस समय कांग्रेस के लिए ऐसे कद्दावर नेता की तलाश अपने पूर्व विधायक रेखचंद जैन पर खत्म हो सकती है। जिनका नाम भी महापौर पद के लिए पिछले कुछ समय में प्रमुखता से सामने निकालकर आया है। कांग्रेसी नेता रेखचंद जैन की बात की जाय तो, वह जगदलपुर नगर पालिका निगम में 90 के दशक में पार्षद भी रह चुके हैं। एवं वर्ष 2008 में विधानसभा का उन्हें टिकिट तो मिला किन्तु भाजपा प्रत्याशी से हार का सामना भी करना पड़ा था। परंतु रेखचंद जैन वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद रुके नहीं और 10 वर्षो की कड़ी मेहनत के बाद 2018 में जगदलपुर से भाजपा के कद्दावर नेता को हराकर विधानसभा पहुंचने में सफल हुए। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी कांग्रेस से टिकिट कटने के बाद भी रेखचंद जैन लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं और वर्तमान समय मे कांग्रेस के इकलौते एकमात्र ऐसे नेता हैं जो भाजपा सरकार की कमियों को प्रमुखता से जनता के समक्ष उठा रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों के लिहाज से देखा जाए तो रेखचंद जैन पूर्व विधायक होने के साथ ही जगदलपुर क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी का प्रमुख चेहरा भी हैं। और जगदलपुर शहर के चौक- चौराहों में पूर्व विधायक रेखचंद जैन के नाम की चर्चा महापौर पद के लिए ज़ोरो-शोरों से चल रही है।

यदि अनुमान मुताबिक महापौर पद की सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होती है एवं कांग्रेस पूर्व विधायक रेखचंद जैन को अपना प्रत्याशी घोषित करती है तो भाजपा के लिए भी सामाजिक संतुलन बनाये रखने की जरूरत तो होगी ही। लेकिन राजनीतिक समीकरण साधने के लिए भाजपा को भी पूर्व विधायक रेखचंद जैन के समक्ष सशक्त उम्मीदवार उतारना होगा।

वैसे भाजपा से महापौर पद के लिए दावेदारों की फेहरिस्त लंबी है लेकिन प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व सदस्य एवं जगदलपुर भाजपा के युवा नेता मनीष पारख का नाम इन दिनों खासा चर्चा में है। मनीष पारख भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से मजबूत उम्मीदवार साबित होने के साथ ही युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने के फैसले पर भी भाजपा संगठन अपनी मुहर भी लगा सकती है।

युवा नेता मनीष पारख के राजनीतिक अनुभव की बात की जाए तो, हालही में हुए विधानसभा व लोकसभा चुनावों में पार्टी की ओर से मिली हर जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। विधानसभा चुनावों के दौरान रायगढ़ विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के प्रचार की जिम्मेदारी संभालनी हो या फिर कांकेर लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी के पक्ष में युवाओं को एकजुट कर क्षेत्र में माहौल बनाना हो तथा अन्य प्रदेश में चुनावों के दौरान भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार करना हो, मनीष पारख भाजपा के विज़न को पूरा करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

45 वर्षीय भाजपा के युवा नेता मनीष पारख बिना किसी राजनीतिक पद के बावजूद क्षेत्र में युवाओं के बीच खासा प्रभाव तो रखते ही हैं। साथ ही सामाजिक मुद्दों को उठाने के अलावा बड़ी ही बेबाकी से लोगों के समक्ष अपनी राय भी रखते हैं। तो वहीं नक्सलवाद जैसे गंभीर मसले पर किसी भी पार्टी के नेता बोलने से कतराते हैं तो मनीष पारख इसके इतर नक्सलियों पर सीधे कटाक्ष करने के लिए भी जाने जाते हैं।

इसके अलावा भाजपा ने हालही में अपने संगठन चुनाव के लिए उम्र सीमा का बंधन तय करके युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने के फैसले के साथ ही बीते कुछ समय में हुए विभिन्न चुनावों में पार्टी ने युवाओं को टिकट देने की जिस प्रकार पैरवी की है उस लिहाज से भी युवा नेता मनीष पारख की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है।

बहरहाल, दोनों ही बड़े राजनीतिक दल प्रत्याशी चिन्हाकित करने में लगे हुए हैं तो दावेदार भी आरक्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि, कब आरक्षण का पिटारा खुलने के साथ ही उनकी किस्मत का भी पिटारा खुले।

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