NCP नेता रामावतार जग्गी मर्डर केस के दोषियों में से एक याह्या ढेबर ने रायपुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। याह्या ढेबर को मेडिकल के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद पुलिस रायपुर के सेंट्रल जेल ले गई है। इससे पहले 15 अप्रैल को शूटर चिमन सिंह और विनोद राठौड़ ने कोर्ट में सरेंडर किया था।
4 अप्रैल को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जग्गी हत्याकांड के 27 दोषियों की अपील खारिज कर दी थी। लोअर कोर्ट के आजीवन कारावास के फैसले को बरकरार रखा था। केस से संबंधित 5 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर करने की मोहलत मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 3 सप्ताह की दी थी मोहलत
सुप्रीम कोर्ट ने 5 दोषियों में तत्कालीन क्राइम ब्रांच के प्रभारी रहे आरसी त्रिवेदी, तत्कालीन मौदहापारा थाना प्रभारी वीके पांडे, CSP कोतवाली अमरीक सिंह गिल, सूर्यकांत तिवारी और याह्या ढेबर को तीन सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया था, जिसमें से आज याह्या ढेबर ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया है।
21 साल पहले गोली मारकर हुई थी हत्या
4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे, जिनमें से 2 लोग बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे।
अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा मिली थी। हालांकि बाद में अमित जोगी बरी हो गए थे। रामअवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अमित जोगी को बरी करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिस पर अमित के पक्ष में स्टे है।
कौन थे रामावतार जग्गी
कारोबारी बैकग्राउंड वाले रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे। शुक्ल जब कांग्रेस छोड़कर NCP में शामिल हुए तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए। विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में NCP का कोषाध्यक्ष बना दिया था।
ये हैं दोषी
जग्गी हत्याकांड में दोषी अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर दोषी है।
जग्गी के हत्या से पहले प्रदेश के सियासी हालात
छत्तीसगढ़ अलग प्रदेश बना तब विधानसभा में कांग्रेस की बहुमत थी। कांग्रेस की ओर से CM पद की रेस में विद्याचरण शुक्ल का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन आलाकमान ने अचानक अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बना दिया। इस वजह से पहले से नाराज चल रहे विद्याचरण पार्टी में अपनी अनदेखी से और ज्यादा नाराज हो गए।
नवंबर 2003 में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही उन्होंने कांग्रेस छोड़कर NCP जॉइन कर ली। NCP के बढ़ते दायरे से कांग्रेस को सत्ता से बाहर होने का डर सताने लगा। जग्गी की हत्या से कुछ दिन पहले ही NCP की बड़ी रैली होने वाली थी, जिसमें शरद पवार समेत पार्टी के कई बड़े नेता आने वाले थे।