भोपाल: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में जहरीला कफ सीरप देने के बाद किडनी फेल होने से 16 बच्चों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री ने तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया। इस मामले में प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर को हटा दिया गया है, जबकि डिप्टी ड्रग कंट्रोलर और दो औषधि निरीक्षकों को निलंबित कर दिया गया। कार्रवाई का कारण अधिकारियों की लापरवाही और सैंपलिंग तथा जांच में देरी बताया गया है।
कोल्ड्रिफ ब्रांड के कफ सीरप का उत्पादन करने वाली तमिलनाडु की कंपनी ‘श्रीसन’ के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। तमिलनाडु औषधि प्रशासन और मध्यप्रदेश औषधि लैब की जांच में इस कफ सीरप में डायथिलीन ग्लायकाल (डीईजी) की मात्रा बहुत अधिक पाई गई, जो मानक 0.1 प्रतिशत से कहीं अधिक थी। डीईजी की मात्रा कोल्ड्रिफ में 46.20 प्रतिशत पाई गई।
मुख्यमंत्री ने मृत बच्चों के परिवार से मुलाकात कर मानव जीवन की सुरक्षा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होने की बात कही। घटना में शासकीय चिकित्सक प्रवीण सोनी पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा, राज्य में कोल्ड्रिफ और अन्य संबंधित ब्रांडों की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
जांच के अनुसार, ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य ने छिंदवाड़ा से लिए गए कफ सीरप के सैंपलों की जांच में छह दिन की देरी की। डिप्टी ड्रग कंट्रोलर शोभित कोष्टा ने सैंपलिंग और जांच में लापरवाही दिखाई। औषधि निरीक्षक गौरव शर्मा ने छिंदवाड़ा जिले में मेडिकल स्टोर्स की जांच में चूक की और शरद कुमार जैन ने जबलपुर से स्टॉक भेजने में देरी की।
मध्यप्रदेश औषधि लैब की जांच में दो और कफ सीरप में डीईजी पाया गया। रिलीफ ब्रांड में 0.616 प्रतिशत और रेस्पीफ्रेश-टीआर में 1.342 प्रतिशत डीईजी मिली। दोनों में मात्रा सीमा 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए थी। मुख्यमंत्री ने इन उत्पादों का पूरा स्टॉक जब्त कर कंपनी के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई का निर्देश दिया।
इस घटना ने प्रदेश में दवाओं की गुणवत्ता और निगरानी के महत्व को उजागर किया है। प्रशासन और औषधि विभाग को इस तरह की लापरवाही को रोकने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होंगे।