जैसलमेर: धार्मिक नगरी रामदेवरा में सोमवार को (भादवा शुक्ल पक्ष की दूज) देशभर में सामाजिक समरसता का प्रतीक माने जाने वाले 641वें भादवा मेले का विधिवत शुभारंभ हुआ. सुबह 3 बजे ब्रह्ममुहूर्त में बाबा रामदेव की समाधी पर मंगला आरती और स्वर्ण मुकुट प्रतिष्ठापन के साथ मेले की शुरुआत की गई.
समाधी परिसर में आयोजित अभिषेक और पूजा-अर्चना में रामदेवरा गादीपति राव भोमसिंह तंवर, अतिरिक्त जिला कलेक्टर फरसा राम, जैसलमेर एसपी अभिषेक शिवहरे, मेलाधिकारी एवं एसडीएम लाखाराम, एएसपी प्रवीण कुमार और सरपंच समंदर सिंह सहित अनेक प्रशासनिक व जनप्रतिनिधि मौजूद रहे.
भादवा मेले की प्रशासनिक तैयारियां 10 अगस्त से चल रही थीं, लेकिन धार्मिक दृष्टि से इसकी शुरुआत दूज से मानी जाती है. रविवार शाम से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा और सोमवार तड़के समाधी परिसर के पट खुलते ही “जय बाबा रामदेव” के नारों के बीच श्रद्धालु दर्शनों के लिए उमड़ पड़े. प्रशासन ने अनुमान लगाया है कि सिर्फ दूज के दिन ही लाखों भक्त बाबा की समाधी के दर्शन करेंगे.
पुष्कर से आए जीवन राम माली ने बाबा की समाधी को 20 से अधिक किस्मों के फूलों से सजाया. इनमें कई फूल विदेशों से मंगवाए गए. उन्होंने बताया कि वे 2013 से हर साल धनतेरस, दीपावली, नवरात्रि और भादवा मेले पर समाधी को सजाते आ रहे हैं.
गुजरात से करीब 700 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर श्रद्धालु 551 फीट लंबी ध्वजा लेकर रामदेवरा पहुंचे. उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान बाबा की कृपा से कोई परेशानी नहीं आई और 15 दिन में रामदेवरा पहुंचकर समाधी के दर्शन का सौभाग्य मिला.
जोधपुर के बिलाड़ा से आए युवाओं का एक पैदल जत्था 7 फीट ऊंचे घोड़े को कंधे पर उठाकर रामदेवरा पहुंचा. जत्थे में करीब 35 लोग शामिल थे. श्रद्धालुओं ने बताया कि बाबा के दर्शनों की आस में यह यात्रा पूरी की गई.
सोमवार सुबह अभिषेक आरती के समय समाधी परिसर के पट खुलते ही श्रद्धालुओं में दर्शनों की होड़ मच गई। इस दौरान श्रद्धालु जिगजैग लाइनों को फांदकर अंदर घुसने लगे। भीड़ नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा गार्ड मौजूद नहीं थे, जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस दौरान महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग गिरते-पड़ते नजर आए.
जैसलमेर एसपी अभिषेक शिवहरे ने बताया कि मेले में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. इस बार पिछले साल से 50 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, ताकि पूरे मेले पर चौबीसों घंटे निगरानी रखी जा सके.