विदेश मंत्री एस. जयशंकर बुधवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए मंगलवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंच गए हैं. जहां पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों ने नूर खान एयरबेस पर उनका स्वागत किया. जयशंकर के एससीओ सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के स्वागत के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा आयोजित दावत में शामिल होने की संभावनाएं हैं.
15 और 16 अक्टूबर को होने वाली एससीओ समिट में शामिल होने पाकिस्तान पहुंचे जयशंकर वहां 24 घंटे से भी कम वक्त बिताएंगे. जयशंकर का ये दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध कुछ खास नहीं है. फरवरी 2019 में पुलवामा हमले और उसके बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद से ही दोनों मुल्कों के संबंधों में तनाव है. अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद संबंध और खराब हो गए. हाल ही में एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा था, ‘किसी भी पड़ोसी की तरह भारत निश्चित रूप से पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहेगा. लेकिन सीमा पार आतंकवाद जारी रहने पर ऐसा नहीं हो सकता.’
Landed in Islamabad to take part in SCO Council of Heads of Government Meeting. pic.twitter.com/PQ4IFPZtlp
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 15, 2024
9 साल बाद भारत के विदेश मंत्री पहुंचे पाकिस्तान
SCO समिट में भाग लेने के लिए विदेश मंत्री पाकिस्तान पहुंच गए हैं. नौ साल बाद ये पहला मौका है जब भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा पर पहुंचे हैं. इससे पहले दिसंबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गईं थीं. सुषमा स्वाराज पाक की राजधानी में आफगानिस्तान को लेकर हुई कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने पहुंचीं थीं. जबकि कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान से होने वाले सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में तनाव बना हुआ है.
क्या है SCO
अप्रैल 1996 में एक बैठक हुई. इसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हुए. इस बैठक का मकसद था आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए सहयोग करना. तब इसे ‘शंघाई फाइव’ कहा गया. हालांकि, सही मायनों में इसका गठन 15 जून 2001 को हुआ. तब चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने ‘शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन’ की स्थापना की. इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के अलावा कारोबार और निवेश बढ़ाना भी जोर दिया.
1996 में जब शंघाई फाइव का गठन हुआ, तब इसका मकसद था कि चीन और रूस की सीमाओं पर तनाव कैसे रोका जाए और कैसे उन सीमाओं को सुधारा जाए. ये इसलिए क्योंकि उस समय बने नए देशों में तनाव था. ये मकसद सिर्फ तीन साल में ही हासिल हो गया. इसलिए इसे सबसे प्रभावी संगठन माना जाता है.