सुप्रीम कोर्ट में गरमाया जम्मू-कश्मीर का मुद्दा: ‘पहलगाम जैसी घटनाओं’ के चलते टली सुनवाई

जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट से 8 हफ्ते सुनवाई टालने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने में जमीनी हालात को ध्यान में रखना होगा. मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आप पहलगाम जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते. मामले की सुनवाई 8 हफ्ते के लिए टली

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन कुछ अजीबोगरीब परिस्थितियां हैं. मामले में 8 हफ्ते में केंद्र को हलफनामा दाखिल करना है.

एसजी ने कहा, हमने चुनावों के बाद राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया था. हमारे देश के इस हिस्से की एक अलग स्थिति है. कुछ अजीबोगरीब परिस्थितियां हैं. साथ ही उन्होंने कोर्ट से 8 हफ्ते का समय दिए जाने की मांग की थी. कोर्ट कॉलेज प्रोफेसर ज़हूर अहमद भट और कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस न देने से नागरिकों के अधिकारों पर असर पड़ रहा है.

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था. इसी के बाद से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई जा रही है.

जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, कांग्रेस विधायक और सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा मांगने वाले इरफान हफीज लोन ने कहा, हम न रुकने वाले हैं, न झुकने वाले हैं, न थकने वाले हैं. बीजेपी जब भी डरती है, पुलिस को आगे भेज देती है. यह गांधी का देश है. हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.

“जल्द से जल्द बहाल हो दर्जा”

5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था. इसी के बाद इसको वापस हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. 11 दिसंबर 2023 को, सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान बेंच ने अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को बरकरार रखा था, लेकिन, केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जितनी जल्दी हो सके बहाल किया जाए. केंद्र ने अदालत को बताया था कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा और उसका केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है.

सीएम उमर अब्दुल्ला ने लिखा पत्र

हाल ही में, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को पत्र लिखकर आग्रह किया कि संसद के मौजूदा सत्र में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक विधेयक पेश किया जाए. अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करना कोई एहसान नहीं, बल्कि एक जरूरी सुधार है. उन्होंने नेताओं को चेतावनी दी कि किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने की मिसाल देश के लिए अस्थिर करने वाले नतीजे ला सकती है और यह एक ऐसी रेड लाइन होनी चाहिए जिसे कभी पार न किया जाए

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