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जशपुर: जल जीवन मिशन के कार्य जिले में तीव्रगति से प्रगतिशील, सोलर एवं एकल ग्राम नल जल योनजाओं के द्वारा 856 कार्य हुए पूर्ण

जल जीवन मिशन के अंतर्गत जिले में कार्य तीव्रगति से प्रगतिशील हैं. सोलर एवं एकल ग्राम नल जल योनजाओं के द्वारा 856 योजनाओं का कार्य पुर्ण हो चुका है. जिले में कुल 755 ग्रामों में 3333 योजनाओं की सरकारी स्वीकृति हुई है. जिनमें 856 योजनाओं का कार्य पूर्ण हो चुका है एवं 2477 योजनाओं का कार्य प्रगतिशील है. जिले में कुल परिवारों की संख्या 199940 है, जिनके लिए 146031 घरेलु नल कनेक्शन का निर्माण हुआ है. जिनमें 60001 क्रियाशील घरेलु नल कनेक्शन क्रियाशील है.

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जिले के विशेष रूप से कमजोर पीवीटीजी बसाहटें पहाड़ी कोरवा के बसाहटों तक पानी पहुंचाने में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का विशेष ध्यान है. ऐसे विशेष पहाड़ी कोरवा बसाहटें मुख्य बसाहटों से दुर होने या पहुँचविहीन होने के कारण योजना से वंचित रह जा रहे थे. ऐसे बसाहटों में विशेष अनुमति लेकर नलकुप खनन का कार्य तेजी से किया जा रहा है, जिनमें विकासखण्ड बगीचा के पंड्रापाठ, बरपाठ बसाहट में नलकुप खनन हो गया है. ऐसे ग्राम जिनमें योजना का कार्य खत्म हो गया है, उनका हर घर जल सर्टिफिकेशन किया. अब तक जिले में 16 ग्राम का हर घर जल सर्टिफिकेशन हो गया है. जिससे वह ग्राम हर घर जल ग्राम घोषित हो.

ऐसा ही एक ग्राम है बरडांड जो जिले के विकासखण्ड कुनकुरी का है. जहां पर कुल 248 परिवारों को क्रियाशील घरेलू नल कनेक्शन द्वारा पानी लगभग एक सालों से पहुंचाया जा रहा है. योजना के आने से पूर्व ग्रामीण अपनी पानी की दैनिक आवश्यकताओं के लिए कुएं एवं हैंडपंप पर निर्भर थे. विशेषकर महिलाएं ही पानी भरती थी, जिसमें दिन का काफी समय लग जाया करता था. कुआं एवं हैंडपंप के पानी की जांच की व्यवस्था न होने के कारण जल जनित बीमारियां जैसे पेट खराब, बुखार, टाइफाइड इत्यादि सामान्य थी. गर्मियों में जब जल स्तर नीचे चला जाता था तो पानी की समस्या भी हो जाती थी. अब पिछले एक साल से जल जीवन मिशन योजना ग्राम में चालू है. अब दूर-दराज से पानी भरने की समस्या खत्म हो गयी है. पानी की जांच होने से अब पानी की शुद्धता पर संदेह खत्म हो गया है. पानी सुबह और शाम दो बार एक घंटे तक चलता है जो पुरे परिवार के लिए पर्याप्त होता है.

ग्रामीणों का कहना है कि जल जीवन मिशन के आने से वे सब काफी खुश हैं एवं योजना की वजह से ग्रामीणों के बीमार होने की संभावना पिछले साल से काफी कमी आई है.

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