कलेक्टर रोहित व्यास ने बगीचा विकासखण्ड के कुदमुरा क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी समीर भगत को किसानों का कृषक पंजीयन कार्य में प्रगति नहीं लाने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. भगत के किसान पंजीयन शिविर में अनुपस्थिति के कारण ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी क्षेत्र कुदमुरा एवं उसके आश्रित ग्रामों के किसान शासन के इस महत्वपूर्ण योजना के लाभ से वंचित हो रहे हैं. उनका यह कृत्य शासकीय कार्य के प्रति घोर लापरवाही एवं अनुशासनहीनता को दर्शाता है. जो कि सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 03 के सर्वथा विपरीत है. जिस हेतु कारण बताओ नोटिस जारी कर उक्त संबंध में जवाब 03 दिवस के भीतर प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया है. जवाब प्रस्तुत नहीं करने अथवा संतोषप्रद जवाब नहीं होने की स्थिति में आपके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही किए जाने की बात कही गई है.
वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, विकासखण्ड बगीचा द्वारा अवगत कराया गया है कि भारत सरकार द्वारा सभी किसानों का कृषक पंजीयन कराया जा रहा है तथा सभी ग्रामीण कृषि विकास अधिकारियों की ड्यूटी अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिदिन पंजीयन कार्य करने हेतु लगायी गयी है. लेकिन कुदमुरा क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी समीर भगत ने अब तक उक्त कार्य को नहीं किया है और ना ही आप अपने कार्यालय के संपर्क में हैं. उनके द्वारा अपने क्षेत्र का भ्रमण नहीं किया जा रहा है. 10 मार्च 2025 स्थिति में प्रगति शून्य है, 01 मार्च से 10 मार्च 2025 के मध्य केवल 01 दिन क्षेत्र में भ्रमण किए हैं. किन्तु उस दिन की प्रगति भी उनके द्वारा नहीं दी गई है. 11 मार्च 2025 को ग्राम पंचायत रनपुर में किसान पंजीयन का शिविर लगाया गया है, जिसे कृषि विकास अधिकारी कुशलीना मिंज ग्राम पंचायत पण्डरीपानी, कुदमुरा का भ्रमण कर रनपुर शिविर में उपस्थित थे तथा कृषि विकास कुशलीना मिंज के द्वारा सूचना दी गई है कि भगत भी कार्य में उपस्थित नहीं हैं.
उप संचालक कृषि जशपुर के कुदमुरा क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी समीर भगत को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. किन्तु उनके द्वारा अब तक तक ना तो नोटिस का जवाब दिया गया और न ही कार्य में उपस्थित हुए. प्रतिदिन गूगल शीट के माध्यम से ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी वार रिपोर्ट प्रेषित की जा रही है, जिसमें भगत की प्रगति लगातार शून्य है. उनकी अनुपस्थिति के कारण ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी क्षेत्र-कुदमुरा एवं उसके आश्रित ग्रामों के किसान शासन के इस महत्वपूर्ण योजना के लाभ से वंचित हो रहे हैं.