खुशियों का त्यौहार दीपावली की तैयारी सभी घरों में जोरों-शोरों से चल रही है. दीवाली में दीये जलाने की प्रथा की शुरुआत तब हुई थी जब भगवान श्री राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस लौटे थे. इसलिए दीपावली के दिन बहुत ही श्रद्धाभाव से दीपक जलाया जाता है. दियों का निर्माण से कई घरों में खुशियों के दीपक भी जलते हैं. जशपुर जिले की सरस्वती स्वयं सहायता समूह, लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह, सूर्या स्व सहायता समूह सहित जिले के अन्य समूहों के द्वारा बिहान योजना से मिली मदद से मिट्टी के दिए, बर्तन, कुल्हड़, मूर्ति, गुल्लक, कलश आदि का निर्माण किया जा रहा है. उनके बनाए सामानों को ग्राहकों का भी अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. चीजों की अच्छी खासी बिक्री होने से उनके आमदनी में इजाफा हुआ है. समूह की महिलाओं ने बिहान योजना से मिले मदद के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार व्यक्त किया है.
बिहान योजना से मिली मदद, आमदनी से घर की अन्य जरूरतों को कर रही है पूरा
समूहों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान से जुड़ने के बाद लोन, प्रशिक्षण सहित अन्य मदद मिलना शुरू हो गया. इस पैसे से वे खेती किसानी सहित किसी अवसर या त्योहारों में उपयोग आने वाली चीजों के निर्माण में करती हैं. कुनकुरी विकासखंड के नारायणपुर ग्राम पंचायत के सरस्वती स्वयं सहायता समूह की सदस्य दिए और मिट्टी के आकर्षक बर्तन का निर्माण कर रही हैं. समूह को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान से जुड़ने के बाद समूह को तीन बार क्रमश 50 हजार, एक लाख, और 2 लाख का लोन मिला है. जिसका उपयोग वे समूह में खेती किसानी और किसी अवसर या त्योहारों में उपयोग आने वाली चीजों के निर्माण में करती हैं. इसी तरह बगीचा विकासखंड के नटकेला ग्राम पंचायत के लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की नीरा दीदी बताती है कि दीपावली के इस शुभ अवसर पर दीया निर्माण एवं बिक्री से उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. मनोरा विकासखंड से मनोरा ग्राम पंचायत की सूर्या समूह की उषा दीदी खूबसूरत दीयों के निर्माण में व्यस्त है. उनके अनुसार स्थानीय मांग होने के कारण बिक्री साप्ताहिक हाट बाजार, स्थानीय बाजार और पड़ोसियों में ही अच्छी खपत हो जाती है.
महिलाएं बताती हैं कि बिहान योजना से मिले मदद से उनके काम को आगे बढ़ाने में काफी सहायता मिली है. महिलाओं ने बताया कि इस पैसे से वे बच्चों की शिक्षा और परिवार की अन्य जरूरतों को पूरा करने में करती हैं.
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