Vayam Bharat

मुंबई में जशप्योर ब्रांड की भारी डिमांड, शुद्धता और स्वास्थ्य लाभ के कारण बढ़ी मांग

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जशपुर के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सार्थक प्रयास कर रहे हैं. स्थानीय आदिवासी स्व-सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा तैयार उत्पादों को मुम्बई में भी पसंद किया जा रहा है. प्रदर्शनी का अवलोकन करके बड़ी मात्रा में खरीदी कर रहे हैं.

Advertisement

कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में जशप्योर ब्रांड का मुंबई के विभिन्न स्थानों पर नियमित स्टॉल लगाई जा रही है. जहां जशपुर जिले के स्थानीय कच्चे माल से बने उत्पादों को प्रदर्शित किया जा रहा है, जो जशपुर की आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार किए गए हैं. ये उत्पाद अपनी शुद्धता और स्वास्थ्य लाभ के कारण उच्च मांग में हैं, क्योंकि इनमें कोई रसायन नहीं होते हैं. जिससे वे बाजार के अन्य उत्पादों की तुलना में एक स्वस्थ विकल्प बन जाते हैं.

इन स्टॉल गतिविधियों को महाराष्ट्र के जवाहर जिले के स्थानीय आदिवासी किसानों द्वारा निष्पादित किया जाता है. जिला प्रशासन की इस पहल से जशपुर जिले के आदिवासियों के साथ-साथ जवाहर के आदिवासियों को भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं.
खाद्य प्रसंस्करण सलाहकार एवं युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन ने कहा कि महुआ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के उत्पाद, जैसे महुआ सिरप (शहद का महुआ आधारित विकल्प), महुआ आधारित चीनी मुक्त च्यवनप्राश विकल्प फॉरेस्टगोल्ड वन्यप्राश और बाजरा पास्ता के नियमित ग्राहक प्राप्त कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त छिन्द घास के हाथ से बने टोकरियॉ त्यौहारी मौसम के दौरान उच्च मांग में हैं.
जशप्योर ब्रांड का स्टॉल डीसीबी बैंक मुख्यालय, मुंबई कैफे लीप लॉजिस्टिक्स, कांदिवली पश्चिम, गेब्स कैफेटेरिया, साकी नाका, अंधेरी वेस्ट, आदित्य बिड़ला अहुरा सेंटर वेस्ट, IIT-मुंबई, पवई, सेंट्रल सबर्ब, गोरेगांव वेस्ट, वीवर्क-एक्सप्रेस टावर्स, नरीमन पॉइंट, दक्षिण, आनंद मेला, विक्रोली, सेंट्रल सबन, पवई, केंद्र, लोअर परेल, मुंबई, DCB बैंक, लोअर परेल, मुंबई, लीप लॉजिस्टिक्स, कांदिवली मुंबई, गेब्स-अंधेरी, साकी नाका, वीवर्क-स्पेक्ट्रम टावर्स, वेस्ट सबअर्ब, मुंबई, वीवर्क-जेनिया बिल्डिंग ठाणे मुंबई सहित अन्य जगहों में लगाए गए हैं.

स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और जशपुर और जवाहर दोनों के आदिवासियों को स्थायी रोजगार प्रदान करने में जिला प्रशासन के प्रयास सराहनीय हैं. यह पहल न केवल आदिवासी समुदायों को सशक्त बना रही है बल्कि इन अद्वितीय, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के माध्यम से उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को भी सुनिश्चित कर रही है.

 

 

ये खबर भी पढ़ें

दुलदुला ब्लॉक में स्व सहायता समूह की महिलाओं को मछली पालन के लिए दिया गया प्रशिक्षण

Advertisements