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वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में जशप्योर उत्पाद महुआ और मिलेट्स को मिली अंतर्राष्ट्रीय पहचान

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देशानुसार जिले में जनजातीय महिलाओं के उत्थान के लिए जशप्योर ब्रांड के तहत् स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दिया जा रहा है। ताकि जनजाजीय समूह के महिलाएं स्थानीय स्तर के चीजों और वस्तुओं का उपयोग कर अपने हाथों से बनाए उत्पादों के विक्रय से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके।
इसी के तहत् भारत मंडपम नई दिल्ली में 25 से 28 सितम्बर 2025 तक आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में जशप्योर ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। जशपुर से निकला यह ब्रांड अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी महिलाओं की मेहनत और नवाचार का प्रतीक बन चुका है।
महुआ की बदलती पहचान
कभी केवल शराब की पहचान तक सीमित रहने वाले महुआ की छवि अब धीरे-धीरे बदल रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी सोच से महुआ से विभिन्न खाद्य सामग्री तैयार की जा रही है जो आज महुआ को सुपरफूड के रूप में तैयार किया जा रहा है और इसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रतीक के रूप में सराहना मिल रही है।
*महुआ आधारित उत्पादों की व्यापक सराहना*
जशप्योर द्वारा प्रदर्शित किए गए महुआ को इसके पोषण मूल्य और दूध, मिठाइयों व पेय पदार्थों में प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में उपयोग के लिए विशेष सराहना मिली। इसी प्रकार महुआ आधारित च्यवनप्राश को इसके अनूठे स्वास्थ्य लाभ और आधुनिक समय की जरूरतों के अनुरूप नवाचार के लिए व्यापक प्रशंसा प्राप्त हुई। इसके साथ ही महुआ चाय, कुकीज़ और एनर्जी स्नैक्स भी आकर्षण के केंद्र बने।
*मिलेट्स और विविधता का प्रदर्शन*
महुआ के साथ-साथ जशपुर के पारंपरिक लिटिल मिलेट (कुटकी), कोदो और बकव्हीट से बने उत्पाद में 15 से अधिक वैरायटी के मिलेट पास्ता, पौष्टिक स्नैक्स और बेकरी प्रोडक्ट्स ने आगंतुकों को आकर्षित किया और यह साबित किया कि ये अनाज भविष्य के सुपरफूड हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की सराहना
प्रदर्शनी में कई देशों से आए डेलिगेट्स ने जशपुर की आदिवासी महिलाओं की मेहनत को सराहा। विशेष रूप से एस्वातिनी के कृषि मंत्री और कृषि निदेशक ने महुवा नेक्टर का स्वाद चखकर इसकी गुणवत्ता और नवाचार की प्रशंसा की और कहा कि यह वैश्विक स्तर पर पोषण और सेहत की नई पहचान बना सकता है। जशप्योर के पीछे खड़ी हैं जशपुर की आदिवासी महिला उद्यमी, जो जय जंगल एफपीसी के तहत काम कर रही हैं। उन्होंने फ़ूड-ग्रेड हार्वेस्टिंग, स्वच्छ और वैज्ञानिक प्रोसेसिंग के जरिए महुआ और मिलेट्स को आधुनिक सुपरफूड्स में बदल दिया है। उनकी मेहनत और नवाचार ने जशपुर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नई पहचान दिलाई है।
खाद्य प्रसंस्करण सलाहकार समर्थ जैन  ने बताया कि महुआ अब केवल परंपरा या शराब की पहचान तक सीमित नहीं है। धीरे-धीरे यह अपनी असली पहचान एक  जनजातीय सुपरफ़ूड के रूप में पा रहा है। हमारी कोशिश है कि इसे वैज्ञानिक और आधुनिक स्वरूप में पूरी दुनिया तक पहुँचाया जाए।  वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में जशप्योर की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि जब परंपरा, मेहनत और नवाचार महिलाओं की शक्ति और मुख्यमंत्री की दृष्टि से मिलते हैं, तो जंगलों और गाँवों की कहानियाँ भी दुनिया तक गूँज सकती हैं। जशप्योर महुआ और मिलेट्स को शराब की पहचान से हटाकर पोषण और खाद्य की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रतीक है।

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