जसवंतनगर: बुधवार को जसवंतनगर में महज़ 30 मिनट की तेज बारिश ने नगर की दशकों पुरानी बदहाली और प्रशासनिक उदासीनता की सारी परतें खोल दीं. यह सिर्फ़ एक बारिश नहीं थी, बल्कि यह नगर पालिका के खोखले दावों, निष्क्रियता और नागरिकों के प्रति उनकी घोर उपेक्षा का जीता-जागता प्रमाण थी. सदर बाज़ार का छोटा चौराहा और बड़ा चौराहा, जो नगर के व्यावसायिक केंद्र हैं, पानी में ऐसे डूब गए मानो किसी झील में तब्दील हो गए हों. यह दृश्य अपने आप में चीख-चीखकर बता रहा था कि नगर की जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है.
अतिक्रमण और कुप्रबंधन का ज़हर
इस जलभराव के मूल में नगर पालिका प्रशासन की वह आपराधिक उदासीनता है, जिसके चलते शहर के मुख्य नाले और नालियाँ वर्षों से अतिक्रमण का शिकार हैं. दुकानदारों ने अपनी सहूलियत के लिए नालों पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया है, जिससे सफ़ाईकर्मी चाहकर भी उनकी सफ़ाई नहीं कर पाते. यह स्थिति रातों-रात पैदा नहीं हुई है, बल्कि यह वर्षों के कुप्रबंधन और आँखों पर पट्टी बांधे प्रशासनिक अधिकारियों की देन है. क्या प्रशासन को यह नहीं पता कि नालों पर अतिक्रमण है? अगर पता है, तो क्यों इस पर कार्रवाई नहीं की जाती? यह एक गंभीर प्रश्न है, जिसका उत्तर नगर पालिका को देना होगा.
जनजीवन अस्त-व्यस्त, लाखों का नुक़सान
बारिश के पानी ने सिर्फ़ सड़कों को ही नहीं डुबोया, बल्कि मोहल्ला अहीर टोला, रेलमंडी, लुधपुरा, मोहन की मढैया, रामलीला मार्ग और कोठी कैस्त जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी कहर बरपाया. घरों में कमर तक पानी घुस गया, जिससे लोगों का लाखों का घरेलू सामान फ़र्नीचर, कपड़े, अनाज और बिजली के उपकरण सब कुछ बर्बाद हो गया. यह सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं है, यह उन परिवारों की गाढ़ी कमाई का नुक़सान है, जिसे वे पाई-पाई जोड़कर इकट्ठा करते हैं.
कठोर कार्रवाई और स्थायी समाधान
अब समय आ गया है कि प्रशासन काग़ज़ी खानापूर्ति छोड़कर ज़मीनी स्तर पर काम करे. इस समस्या का स्थायी समाधान केवल दो बातों पर निर्भर करता है जिसमें पहला कठोर अतिक्रमण विरोधी अभियान, सभी नालों और नालियों से बिना किसी भेदभाव के अतिक्रमण हटाया जाए और भविष्य में ऐसे अतिक्रमण को रोकने के लिए ठोस क़दम उठाए जाएँ. साथ ही दूसरा नियमित और प्रभावी सफ़ाई, नालियों की नियमित और वैज्ञानिक तरीक़े से सफ़ाई सुनिश्चित की जाए. इसके लिए आधुनिक उपकरणों और पर्याप्त मानव संसाधनों का उपयोग किया जाए.