जयललिता की जब्त संपत्ति नहीं मिलेगी वारिसों को, अदालत ने याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा जब्त संपत्तियों को वापस लौटाने की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने शुक्रवार को यह स्पष्ट किया कि कार्यवाही समाप्त होने का मतलब यह नहीं है कि जयललिता को अपराध से बरी कर दिया गया है. यह मामला आय से अधिक संपत्ति से जुड़ा हुआ था, जिसमें जयललिता को दोषी पाया गया था और उनकी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी वी नागरत्ना और जज सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. कर्नाटक राज्य बनाम जयललिता मामले में 2017 के कोर्ट ने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अपील लंबित रहने के दौरान उनकी मृत्यु हो जाने के कारण कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी. इसका मतलब यह नहीं निकाला जा सकता कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम रूप से जयललिता के पक्ष में हो गया है. इस आधार पर, अदालत ने संपत्तियों को वापस लौटाने की याचिका को खारिज कर दिया.

भतीजी और भतीजे ने दायर की थी याचिका

गौरतलब है कि जयललिता की भतीजी जे दीपा और भतीजे जे दीपक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह दावा किया था कि जयललिता का मामला अब कानूनी रूप से समाप्त हो चुका है, इसलिए उनकी संपत्तियों को सरकार को स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि, अदालत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में अन्य दोषियों की सजा को बरकरार रखा था, इसलिए जब्ती का फैसला भी वैध माना जाएगा.

तमिलनाडु सरकार ही संपत्तियों की हकदार होगी

इससे पहले सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 29 जनवरी को तमिलनाडु सरकार को जयललिता की जब्त संपत्तियों को हस्तांतरित करने का आदेश दिया था. यह आदेश तब आया जब कर्नाटक हाई कोर्ट ने 13 जनवरी को जयललिता के उत्तराधिकारियों की याचिका को खारिज कर दिया था. विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि यह संपत्तियां भ्रष्टाचार से अर्जित की गई थीं, इसलिए इन पर सरकार का अधिकार बनता है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद साफ हो गया है कि तमिलनाडु सरकार ही इन संपत्तियों की कानूनी मालिक होगी और उत्तराधिकारियों के दावों को मान्यता नहीं दी जाएगी.

Advertisements
Advertisement