जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के छात्र शिवांश गुप्ता की आत्महत्या की गुत्थी लगातार उलझती जा रही है. जहां कॉलेज प्रशासन और साथी छात्र इस मामले को डिप्रेशन से जोड़कर देख रहे हैं तो वहीं मृतक छात्र के परिजन इसे रैगिंग का नतीजा मान रहे हैं. शुक्रवार को जबलपुर पहुंचे शिवांश के परिजनों ने खुलकर आरोप लगाए कि सीनियर और साथी छात्रों की प्रताड़ना से तंग आकर ही उनके बेटे ने यह खौफनाक कदम उठाया.
परिजनों का दावा है कि शिवांश बीते कई दिनों से मानसिक रूप से बेहद परेशान था. तीन दिन पहले उसने अपनी मां को फोन कर रैगिंग की बात बताई थी. उसने कहा था कि नई मोटरसाइकिल लेने के बाद से सीनियर छात्र उसे ताने मार रहे हैं और लगातार मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं. यही नहीं, एक रात पहले तो कुछ सीनियर्स ने उसे रातभर परेशान किया और तीन घंटे तक टॉर्चर किया.
मेडिकल कॉलेज की चौथी मंजिल से कूदकर दी जान
यह सारी बातें उसने अपनी मां को बताई थीं. गुरुवार को शिवांश गुप्ता ने मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी थी. गंभीर रूप से घायल शिवांश को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चौथी मंजिल से गिरने के कारण शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें पाई गई हैं.
मूल रूप से रीवा निवासी शिवांश एक संपन्न, सुशिक्षित और प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता था. उनके माता-पिता गुड़गांव में रहते हैं. पिता संतोष गुप्ता एक निजी कंपनी में इंजीनियर हैं और मां अर्चना गुप्ता हाउस वाइफ हैं. दोनों बहनें भी चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत हैं और शिवांश दोनों बहनों में इकलौता भाई था. शिवांश जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल नंबर-4 के रूम नंबर 101 में रहकर एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा था.
शिवांश ने MBBS में लिया दाखिला
शिवांश ने नीट में 660 नंबर लाकर एमबीबीएस में दाखिला लिया था. ऐसे परिवार से आने वाले होनहार छात्र के इस आत्मघाती कदम ने सभी को स्तब्ध कर दिया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही जो उसे यह कठोर कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा?
मौत के कुछ समय पहले शिवांश ने अपने दोस्तों और पिता को मैसेज भेजा था. अपने दोस्तों को भेजे गए संदेश में उसने भावुक होकर लिखा था, “कैसे हो भाई लोगों, माई फर्स्ट फ्रेंड यू आर भाई… दी मोस्ट स्पेशल वन. फॉरएवर ग्रेटफुल कि कॉलेज में एंट्री लेते ही मुझे इतने भाई लोग मिल गए. साला कभी हॉस्टल में दोस्तों की कमी ही महसूस नहीं होने दी, फ्रॉम दी वेरी फर्स्ट डे. आई विश दी बेस्ट फॉर बोथ गाइज… मे यू गाइज प्रोस्पर एंड डोन्ट मिस्टेक इन लाइफ, लाइक आइ डिड.”
शिवांश ने पिता को भेजा था मैसेज
वहीं शिवांश ने दोस्तों के साथ अपने पिता को भी सुबह 11.47 बजे मैसेज किया था. असिस्टेंट वॉर्डन डॉ. रविकांत महंत ने बताया कि शिवांश के पिता ने फोन पर उन्हें बताया कि मैसेज में उसने लिखा है कि “मैं फ्रस्टेट हो गया हूं.” यह संदेश कहीं न कहीं मानसिक तनाव और भीतर चल रहे संघर्ष की ओर इशारा करते हैं, लेकिन परिजनों का कहना है कि यह तनाव अकेले पढ़ाई का नहीं, बल्कि सीनियर छात्रों द्वारा किए गए उत्पीड़न का नतीजा है.
परिजनों ने एडिशनल एसपी सूर्यकांत शर्मा एवं मेडिकल कॉलेज प्रशासन को दिए गए लिखित आवेदन में तीन छात्रों मयंक, युवी सिंह और जाहिर हुसैन का नाम स्पष्ट रूप से बताया है. उनका कहना है कि इन छात्रों से पूछताछ की जाए और इनके मोबाइल जब्त कर डेटा रिकवर किया जाए तो रैगिंग की सच्चाई सामने आ सकती है. परिजनों का आरोप है कि शिवांश के आस-पास रहने वाले छात्रों को रैगिंग की जानकारी थी, लेकिन सभी चुप हैं. यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है.
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने क्या कहा?
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने कहा कि छात्र की आत्महत्या की घटना बेहद दुखद है. हमने एक जांच कमेटी गठित की है और परिजनों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है. यदि रैगिंग के प्रमाण मिलते हैं तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया जा रहा है, जो पूरे मामले की गंभीरता से जांच करेगी. फिलहाल पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है. कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने परिजनों से मुलाकात कर निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया. उनका कहना है कि कॉलेज में रैगिंग पूरी तरह प्रतिबंधित है, लेकिन यदि कहीं कोई चूक हुई है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.
मृतक के परिजन दिनेश गुप्ता का कहना है कि हमारा बेटा पढ़ाई में होशियार था. उसने कभी हार नहीं मानी. नई बाइक लेने की इतनी बड़ी सजा मिलेगी, ये किसी ने नहीं सोचा था. दोषियों को सजा मिले, यही हमारी मांग है. जिस पर गढ़ा थाना में पदस्थ एसआई एवं जांच अधिकारी योगेंद्र सिंह का कहना है कि छात्र शिवांश गुप्ता की मौत के मामले में कॉलेज प्रशासन और परिजनों से प्राप्त जानकारी के आधार पर जांच प्रारंभ की गई है. रैगिंग की बात सामने आई है, इसकी भी जांच की जा रही है. इसके साथ ही सभी पहलुओं पर जांच की जा रही है. जिन छात्रों के नाम सामने आए हैं, उनसे पूछताछ की जाएगी और डिजिटल साक्ष्य भी एकत्र किए जा रहे हैं.
क्या सच में शिवांश के साथ रैंगिंग हुई
मृतक छात्र शिवांश के परिजन बेहद व्यथित हैं. उनके अनुसार, मेडिकल कॉलेज जैसी संस्था में अगर आज भी रैगिंग जैसी कुप्रथा मौजूद है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. उनके मुताबिक, जब पूरा देश रैगिंग पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में जागरूक हो रहा है, तब एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में इस तरह की घटना प्रशासन की नाकामी को उजागर करती है. शिवांश गुप्ता की मौत ने जबलपुर मेडिकल कॉलेज प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह मामला केवल एक आत्महत्या नहीं, बल्कि रैगिंग जैसी सामाजिक बुराई की ओर फिर से ध्यान दिलाता है. परिजनों की मांग है कि निष्पक्ष जांच हो, दोषियों को सजा मिले और भविष्य में किसी और छात्र को ऐसी परिस्थिति का सामना न करना पड़े.