झालावाड़: इस दौर में कौन करता है ऐसा त्याग? स्कूल चलाने के लिए दे दिया अपना घर….परिवार चला गया टपरी में रहने

झालावाड़: अब तक का जीवन गरीबी में जीने वाले पीपलोदी गांव निवासी मोर सिंह नामक व्यक्ति ने पुरानी कहावतों को तोड़ते हुए एक नई मिसाल ही कायम कर दी है. सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन यह बात सच है कि मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने वाले मोर सिंह ने अपना रहने का मकान पीपलोदी गांव में स्कूल बिल्डिंग गिर जाने के पश्चात सरकार को स्कूल चलाने के लिए दे दिया है, तथा खुद मोर सिंह और उनका परिवार गांव के बाहर एक टपरी बनाकर उसमें रह रहे हैं.

अपना मकान खाली करके स्कूल चलाने के लिए दिए जाने और खुद लकड़ी और तिरपाल से टपरी बनाकर उसमें रहने चले जाने के पीछे मोर सिंह तर्क देते हैं कि वह खुद निरक्षर व्यक्ति हैं, तथा पूरे गांव में पढ़े-लिखे लोगों की संख्या भी कम है, ऐसे में उन्होंने सोचा कि गांव के बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो और लगातार चलती रहे, इसलिए उन्होंने अपना मकान स्कूल चलाने के लिए दे दिया. मोर सिंह का कहना है कि प्रशासन जब तक पिपलोदी में नया स्कूल भवन बनकर तैयार नहीं हो जाता. तब तक उनके मकान में आराम से स्कूल का संचालन करें. बच्चों की पढ़ाई बदस्तूर जारी रहना चाहिए.

गांव के लोग भी मोर सिंह के इस फैसला को लेकर काफी संतुष्ट नजर आते हैं और उनकी प्रशंसा करते हैं. और यह सच है कि मोर सिंह जैसी सोच रखने वाले लोगों की प्रशंसा की भी जानी चाहिए, क्योंकि इस ज़माने में जहां लोग अपने खून के रिश्तों में भी मदद को तैयार नहीं होते, वहां मोर सिंह ने अपने रहने का घर ही स्कूल संचालन के लिए दे दिए जाना वाकई एक बड़ा क़दम हैं और दरिया दिली की मिसाल है.


Advertisements