झारखंड बना देश का पहला DGP विहीन राज्य, बाबूलाल मरांडी का सरकार पर तीखा हमला..

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल को सेवानिवृति (रिटायर) नहीं किए जाने पर राज्य के नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि झारखंड देश का पहला राज्य है जो संवैधानिक रूप से बगैर डीजीपी के ही चल रहा है. उन्होंने कहा कि 30 अप्रैल को ही सेवानिवृति होने के बावजूद अनुराग गुप्ता किस हैसियत से डीजीपी के पद पर काम कर रहे हैं? जबकि राज्य सरकार को केंद्र सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार नहीं देते हुए हटाने का आदेश दे दिया था. ऐसे में झारखंड देश का पहला राज्य है जो संवैधानिक रूप से बिना डीजीपी के चल रहा है.

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झारखंड के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सवालिया लहजे में पूछा कि आखिर अनुराग गुप्ता में ऐसी कौन सी खूबी है कि उन्हें सेवानिवृत्त होने के बावजूद डीजीपी बना कर रखा गया है.

भ्रष्टाचार और फ्रॉड का आरोप

बाबूलाल मरांडी ने अनुराग गुप्ता पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि एक आईपीएस अफसर जिस पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और फ्रॉड का आरोप हो, कोई भी सरकार अपने राज्य और जनता की सुरक्षा उसके हवाले कैसे कर सकती है? 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता के ऊपर आरोपों की लिस्ट काफ़ी लंबी है. उन पर बिहार के जमाने में मगध विश्वविद्यालय थाना केस संख्या 64/2000 आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 474, 109, 116, 119, 120(बी) एवं 201 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत का केस हुआ था.

अनुराग गुप्ता को झारखंड में मिली नियुक्ति

उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे याद है कि मेरे मुख्यमंत्रित्व काल के अंतिम दिनों में उस मामले में प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन के लिये बिहार से अनुरोध पत्र भी आया था. उस पर आगे क्या हुआ यह मुझे याद नहीं है. जबकि हेमंत सोरेन ने खुद इन्हें 24 फ़रवरी 2020 से 9 मई 2022 (26 महीने) निलंबित किए रखा. लेकिन इस दौरान हेमंत सोरेन और अनुराग गुप्ता की नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि सस्पेंशन की अवधि खत्म होते ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को वापस झारखंड में ही नियुक्ति दे दी.

अनुराग गुप्ता को बनाया कार्यवाहक डीजीपी

जबकि साल 2024 में चुनाव आयोग ने डीजीपी अनुराग गुप्ता को अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया और उन्हें हटाकर दूसरे डीजीपी की नियुक्ति की. लेकिन हद तो तब हो गई जब मुख्यमंत्री बनने के कुछ घंटों के अंदर ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया. कोर्ट के आदेश की अवहेलना करके अनुराग गुप्ता को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया. फिर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 7 जनवरी को आनन-फानन में ऑल इंडिया सर्विस रूल्स (1958) को दरकिनार करते हुए सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए एक नई नियमावली ही बना डाली.

इस असंवैधानिक नियुक्ति के संदर्भ में गृह मंत्रालय ने झारखंड सरकार को जो पत्र लिखा है, उसका जवाब में हेमंत सोरेन गृह मंत्रालय को ही पुनर्विचार करने को बोल रहे हैं. सरकार नियमों को ताक पर रखकर संवैधानिक पदों की गरिमा खत्म कर रही है.

हेमंत सोरेन ने किया सत्ता का दुरुपयोग

उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वर्तमान में झारखंड की सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था तालीबानी हुकूमत की तरह ऐसे व्यक्ति के हाथ में सौंप दिया जाए, जिस पर भ्रष्टाचार, अपने पद का दुरुपयोग और धोखाधड़ी के आरोप लगे हों, तो राज्य का भविष्य कैसा होगा, यह आप सभी भी अच्छे से समझ सकते हैं. सत्ता का ऐसा दुरुपयोग हेमंत सोरेन के राज में ही संभव है.

हेमंत सरकार के दुलारे अधिकारी

इसी अनुराग गुप्ता को पूर्व में इसी हेमंत सोरेन की सरकार ने 26 महीने तक निलंबित रखा था, लेकिन अब वहीं अनुराग गुप्ता हेमंत सरकार के दुलारे अधिकारी बन गए हैं. झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय की की जांच चल रही है. अलग-अलग मामलों में यह कार्रवाई हो रही है. परिवर्तन निदेशालय के द्वारा पत्र भी लिखा था, जिसमें अलग-अलग अधिकारी का नाम शामिल है.

जिस मामले में ईडी के गवाहों को गवाही देना है, ऐसे में क्या ऐसे लोगों पर केस या अन्य किसी दूसरे तरीके से मामले को दबाने की कोशिश अनुराग गुप्ता के द्वारा किया जा रहा है. कहीं यही वजह तो नहीं है कि हेमंत सोरेन और अनुराग गुप्ता के बीच एक डील हुई है. जिसमें हेमंत सोरेन को वह उनके द्वारा किये गए घोटालों से बचाते हैं और हेमंत सोरेन उन्हें सेवानिवृत्त होने के बाद भी डीजीपी के पद पर रखे हुए हैं.

असंवैधानिक तरीके से बने झारखंड के डीजीपी

अब तो 30 अप्रैल को उनके सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्हें असंवैधानिक तरीके से झारखंड के डीजीपी बना कर रखे हुए हैं. जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पत्र भेज कर राज्य सरकार को अवगत करा दिया था कि 30 अप्रैल को रिटायरमेंट के बाद, वह डीजीपी के रूप में आगे कार्य नही कर सकते हैं.

कोयले की चोरी में बेतहाशा वृद्धि

बाबूलाल मरांडी ने तो यहां तक कह दिया कि आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता सिर्फ डीजीपी की नियुक्ति तक ही सीमित नहीं है. झारखंड में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और सीआईडी का कार्यभार भी गैर कानूनी तरीके से यही संभाल रहे हैं. अनुराग गुप्ता के कार्यकाल में कोयले की चोरी में बेतहाशा वृद्धि हुई है. धनबाद इलाक़े में मुझे लोगों ने बताया कि उस इलाके से रोजाना 500 ट्रक से भी ज़्यादा कोयले की चोरी हो रही है तो मैं यह बात सरकार के संज्ञान लाया. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही.

इस मामले उस इलाके से आने वाले विधायक जयराम महतो ने कहा कि बाबुलाल मरांडी की जानकारी कम है, वहां तो रोजाना 700 से 800 ट्रक कोयले की चोरी हो रही है. उन्होंने हेमंत सोरेन की सरकार से अविलंब नए डीजीपी की नियुक्त की मांग किया है.

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