दुनिया के सबसे अमीर शख्स Elon Musk भारतीय अरबपतियों से सीधी जंग में उतर गए हैं. ये जंग टेलीकॉम सेक्टर में होती दिख रही है. दरअसल, परंपरागत टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स यानी जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की जंग एलॉन मस्क की कंपनी Starlink से हो रही है.
ये जंग स्पेक्ट्रम एलॉकेशन को लेकर है. जियो और एयरटेल सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी चाहते हैं, जबकि मस्क की मांग कुछ और है. रिलायंस जियो इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा मुखर है. कंपनी कई मौकों पर सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को लेकर बोल चुकी है.
TRAI को जियो ने लिखी थी चिट्ठी
हाल में कंपनी ने इस पूरे मामले में TRAI को चिट्ठी भी लिखी थी. जियो का मानना है कि इस तरह के स्पेक्ट्रम को नीलामी के जरिए दिया जाना चाहिए, जिससे लेगेसी ऑपरेटर्स को बराबर का मौका मिलेगा. यहां लेगेसी ऑपरेटर्स से मतलब जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया से है, जिन्होंने टेलीकॉम स्पेक्ट्रम खरीदे हैं और उसके लिए टेलीकॉम टावर का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया है.
वहीं दूसरी तरफ मस्क की कंपनी Starlink की मांग एडमिनिस्ट्रेटिव एलॉटमेंट की है. स्टारलिंक का कहना है कि इसमें ग्लोबल ट्रेंड को फॉलो किया जाना चाहिए. ऐसा लग रहा है कि इस पूरे मामले में टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया का झुकाव भी ग्लोबल ट्रेंड की ओर ही है.
टेलीकॉम मंत्री ने क्या कहा?
उन्होंने पहले भी कहा है कि इस तरह की एयरवेव्स को एडमिनिस्ट्रेटिव एलॉकेशन के जरिए दिया जाना चाहिए ना कि नीलामी के. सिंधिया ने कहा था कि Telecom Act 2023 जो दिसंबर में पास हो चुका है, उसके शेड्यूल 1 में इस मामले को रखा गया है. इसका मतलब है कि सैटकॉम स्पेक्ट्रम को एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से जारी किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा था, ‘इसका ये मतलब नहीं है कि ये स्पेक्ट्रम बिना किसी खर्च के मिल जाएंगे. इसकी कीमत क्या होगी और कीमत तय करने का क्या फॉर्मूला होगा, ये हम और आप तय नहीं करेंगे… इसे ट्राई तय करेगा. इसे लेकर ट्राई ने एक पेपर भी सर्कुलेट किया है और हमारे पास टेलीकॉम के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी है.’
‘उस अथॉरिटी को संविधान द्वारा यह तय करने का अधिकार दिया गया है कि एडमिनिस्ट्रेटिव कीमत क्या होगी?’ टेलीकॉम मंत्री ने कहा है कि TRAI बेस्ट प्राइसिंग के साथ आएगा, जिसे अपनाया जाएगा.
सिंधिया ने कहा, ‘सैटेलाइट स्पेक्ट्रम दुनियाभर में एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से जारी किए जाते हैं, इसलिए भारत कुछ अलग नहीं कर रहा है. वहीं अगर आप इसे नीलामी के जरिए जारी करेंगे, तो ये जरूर दुनियाभर से अलग होगा.’
Much appreciated! We will do our best to serve the people of India with Starlink.
— Elon Musk (@elonmusk) October 15, 2024
क्या है असली मामला?
दरअसल, जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों ने टेलीकॉम स्पेक्ट्रम और इंफ्रास्ट्रक्चर में बहुत पैसा खर्च किया है. अगर Starlink जैसी कंपनियां भारत में आती हैं और स्पेक्ट्रम के लिए पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे, तो उन्हें इन परंपरागत कंपनियों को एक लीड मिल सकती है.
इस मामले पर एयरटेल के प्रमुख सुनील भारती मित्तल ने कहा, ‘जो सैटेलाइट कंपनियां, भारत के अर्बन एरिया में काम करना चाहती हैं और रिटेल कस्टमर्स को सेवा देना चाहती हैं, उन्हें भी दूसरों की तरह ही टेलीकॉम लाइसेंस के लिए भुगतान करना चाहिए. उन पर वहीं शर्तें लागू होनी चाहिए, जो दूसरी कंपनियों पर हैं.’
मस्क ने भी इस जंग में एंट्री कर ली है. उन्होंने Jio के लेटर के साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा, ‘मैं कॉल करूंगा और पूछूंगा कि क्या भारत के लोगों को इंटरनेट सर्विस प्रदान करने के लिए स्टारलिंक को कंपीट करने की इजाजत देना बहुत अधिक परेशानी नहीं होगी?’