डूंगरपुर: नई दिल्ली संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ‘ज्ञान भारतम्’ राष्ट्रीय पहल के अंतर्गत तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ. पहले दिन केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सम्मेलन का उद्घाटन किया. दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए युवाओं से इस मिशन से जुड़ने का आह्वान किया.
उन्होंने पांडुलिपियों के संरक्षण एवं डिजिटलीकरण हेतु ‘ज्ञान भारतम् पोर्टल’ का शुभारंभ किया. सम्मेलन में पांडुलिपि विज्ञान, संरक्षण, डिजिटलीकरण तकनीक, कानूनी ढांचा और प्राचीन लिपियों पर गहन चर्चा हुई. इसी अवसर पर दुर्लभ पांडुलिपियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसने विद्वानों और शोधकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया.
डूंगरपुर से जितेन्द्र मेघवाल ने भी इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया. उन्होंने पांडुलिपि संग्रहण और डिजिटलीकरण पर अपने विचार रखते हुए कहा कि पांडुलिपिया हमारी धरोहर हैं जिनके द्वारा हम अतीत को जानकर वर्तमान को सवारते हुए भविष्य को सुंदर बना सकते हैं. पांडुलिपियों को जानने और संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में युवाओं को आगे आना चाहिए.
वर्तमान में इस विषय की ओर युवाओं का रूझान कम है. मैंने चौहान वंशावली पर काम करते हुए पांडुलिपियों का अध्धयन करते हुए शौर्य से भरा अतीत पाया, तब समझ में आया कि आजादी के बलिदान और वर्तमान में देश के प्रति समर्पण में पांडुलिपियां हमारी थातीयां है. ऐसे सम्मेलन पांडुलिपियों के प्रति युवाओं में जिज्ञासा पैदा करेंगे, जो आने वाले समय के लिए अतीत को जानने के सरल अवसर उपलब्ध होंगे.
जिससे अतीत को समझकर वर्तमान और भविष्य का बेहतर निर्माण करने के सहभागी बनेंगे. समापन सत्र में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि रहे. इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल, अतिरिक्त सचिव अमिता प्रसाद सरभाई, संयुक्त सचिव समर नंदा, निदेशक इंद्रजीत सिंह, आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, फील्ड्स मेडल विजेता प्रो. मंजुल भार्गव, एएसआई महानिदेशक यदुवीर सिंह रावत, प्रो. रमेश चंद्र गौड़ और राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के निदेशक प्रो. (डॉ.) अनिर्बान दाश सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे.