अंतर्राष्ट्रीय पांडुलिपि विरासत सम्मेलन में डूंगरपुर के जितेन्द्र मेघवाल होंगे शामिल, वागड़ की धरोहर को मिलेगा वैश्विक मंच

डूंगरपुर: संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से पहला अंतर्राष्ट्रीय पांडुलिपि विरासत सम्मेलन 11 से 13 सितम्बर 2025 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होगा. इस ऐतिहासिक सम्मेलन की अध्यक्षता माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे. सम्मेलन का मुख्य विषय “पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना” है.

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इसमें दुर्लभ एवं अप्रकाशित पांडुलिपियों के संरक्षण, डिजिटलीकरण, दस्तावेजीकरण और प्रकाशन पर विशेष विमर्श होगा. आयोजन को 11 सितम्बर 1893 को शिकागो में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की स्मृति को भी समर्पित किया गया है.  इसमें भारत तथा विश्वभर से 1000 से अधिक प्रतिष्ठित इतिहासकार, विद्वान, विचारक एवं सांस्कृतिक संरक्षक भाग लेंगे.

वागड़ी भाषा कार्यशाला के संयोजक दिनेश प्रजापति ने बताया कि यह वागड़ अंचल के लिए गौरव की बात है कि डूंगरपुर जिले के गणेशपुर गांव निवासी जितेन्द्र मेघवाल का चयन इस सम्मेलन में हुआ है. वे शिक्षा विभाग में ब्लॉक कॉर्डिनेटर के पद पर कार्यरत हैं और साथ ही चौहान वंशावली के इतिहास पर पुस्तक लेखन कर रहे हैं. मेघवाल सम्मेलन में वागड़ क्षेत्र की पांडुलिपियों की धरोहर पर प्रकाश डालते हुए इनके संरक्षण की आवश्यकता एवं महत्व पर अपने विचार रखेंगे.

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