जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ वाली एक शिलापट्टी को ईद-ए-मिलाद के दिन लोगों ने तोड़ दिया. अब इस मामले को लेकर विवाद बढ़ गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सहित जम्मू-कश्मीर की पार्टियों ने शनिवार को श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह के अंदर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह रखकर “मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने” के आरोप में जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख़्शां अंद्राबी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
दरअसल, डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने हजरतबल दरगाह में एक संगमरमर की पट्टिका पर अशोक स्तंभ का चिन्ह उकेरवाया था, जिसे 3 सितंबर 2025 को उद्घाटित किया गया था. इसी के बाद लोगों ने इसको तोड़ दिया. इसी के बाद अब इस पर सियासी दलों की तरफ से रिएक्शन सामने आने लगे हैं.
आशोक चिन्ह हटाने वालों पर सख्त रुख
जहां एक तरफ कुछ दल अंद्राबी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी ने अशोक स्तंभ लगाने का विरोध करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा है.
अंद्राबी ने कहा कि जिन लोगों को अशोक स्तंभ के इस्तेमाल से समस्या है, उन्हें दरगाह जाते समय प्रतीक चिह्न वाले नोट नहीं ले जाने चाहिए. इसी के साथ उन्होंने शिलापट्टी को तोड़ने वालों को आतंकवादी तक कह दिया. उन्होंने कहा, कि इस कृत्य को अंजाम देने वाले किसी आतंकवादी से कम नहीं हैं.
“कुछ लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं”
देखते ही देखते दरगाह के इस मामले ने सियासी रुख ले लिया है. दरगाह में अशोक स्तंभ वाली शिलापट्टी को तोड़े जानी की घटना को दरख्शां अंद्राबी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा, कुछ लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने हजरतबल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा, यह घटना पत्थर पर दाग नहीं है, यह मेरे दिल पर दाग है. यह संविधान पर एक दाग है, जिसे यहां के चुने हुए नेता उभारते हैं. क्या यहां के नेता प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल नहीं करते? क्या हमारे चुने हुए मुख्यमंत्री प्रतीक चिह्न साथ नहीं ले जाते?”
कौन हैं दरख्शां अंद्राबी?
डॉ. दरख्शां अंद्राबी जम्मू और कश्मीर की एक प्रमुख बीजेपी नेता हैं. वो बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य, जम्मू और कश्मीर बीजेपी की कोर ग्रुप सदस्य और पार्टी की प्रवक्ता हैं. इसके साथ ही वो जम्मू और कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष भी हैं.डॉ. अंद्राबी ने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर से उर्दू साहित्य में पीएचडी की है. उन्होंने साल 2008 में पीएचडी की.
सीएम उमर ने क्या कहा?
इस विवाद पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का रिएक्शन भी सामने आया है. उन्होंने कहा, धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रीय प्रतीकों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं. उन्होंने इस मामले की जांच की बात भी कही है.