झारखंड में विधानसभा चुनावों से पहले इंडिया ब्लॉक के घटकों के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है. बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच इंडिया ब्लॉक की तीन राउंड की बैठकों में झारखंड की नेतृत्वकर्ता पार्टी जेएमएम को शामिल नहीं किया गया, जिससे जेएमएम ने नाराजगी जताई है. पार्टी प्रवक्ता डॉ. तनुज खत्री ने कहा कि 14-15 अप्रैल को हुए जेएमएम के 13वें अधिवेशन में राष्ट्रीय स्तर पर संगठन विस्तार का फैसला लिया गया है और आदिवासी एवं पिछड़ा समुदाय के बड़े नेता हेमंत सोरेन की अनदेखी बिल्कुल सही नहीं.
बिहार के 15 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय ले सकती है
जेएमएम ने साफ किया है कि अगर उन्हें गठबंधन में उचित सम्मान नहीं मिला, तो वह बिहार के 15 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय ले सकती है. इसमें देवघर से सटे बांका जिले की चकई सीट सहित कटोरिया, झाझा, जमुई समेत कई सीटें शामिल हैं, जहां पार्टी को सफलता की उम्मीद है. डॉ. खत्री ने इंडिया ब्लॉक के अन्य घटकों को चेतावनी दी कि जेएमएम का बहिष्कार भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है और इंडिया ब्लॉक कमजोर होगा.
राजद ने दिया जवाब
झारखंड के पिछले विधानसभा चुनावों में राजद को जेएमएम के पहल पर सात सीटें मिली थीं, इसलिए जेएमएम के हितों की अनदेखी ठीक नहीं. वहीं राजद के मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने कहा कि जेएमएम का बिहार में मजबूत प्रभाव नहीं है, इसलिए इंडिया ब्लॉक में उसकी भागीदारी पर अंतिम फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा किया जाएगा.
राजद का आरोप है कि झारखंड में पार्टी के प्रति अन्य घटकों का भेदभाव हो रहा है. तेजस्वी यादव लगातार रांची में 6 दिन कैंप कर रहे हैं, लेकिन पार्टी को केवल 6 सीटें मिली हैं, जबकि 22 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया गया था. साथ ही, राजद का चुनाव जीतकर आए 4 विधायक सरकार में हैं, फिर भी पार्टी को TAC गठन, बोर्ड निगमों और सरकार के कोऑर्डिनेशन कमिटी में जगह नहीं दी गई है. सिर्फ कांग्रेस और जेएमएम को ही इन जगहों पर शामिल किया गया है. राजद ने सवाल उठाया है कि झारखंड में उसका कौन सगा है?