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JMM के संस्थापक सदस्य चंपाई सोरेन बीजेपी में शामिल, CM पद से हटाने पर नाराज होकर छोड़ी थी पार्टी

झारखंड के पूर्व सीएम और पूर्व जेएमएम नेता चंपई सोरेन बीजेपी में शामिल हो गए हैं. रांची में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की मौजूदगी में चंपाई सोरेन ने अपने समर्थकों के साथ बीजेपी की सदस्यता ली. झारखंड मुक्ती मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक सदस्य रहे चंपाई ने सीएम पद से हटाए जाने से नाराज होकर दो दिन पहले ही पार्टी छोड़ी थी.

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दरअसल, 67 वर्षीय आदिवासी नेता के बीजेपी में शामिल होने को अनुसूचित जनजातियों के साथ अपने संबंध को बढ़ाने के भगवा पार्टी के प्रयासों के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है, जो एक समुदाय है जो जेएमएम का मुख्य मतदाता आधार रहा है. चंपाई जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के करीबी सहयोगी रहे हैं.

बीजेपी जॉइन करने के बाद चंपाई सोरेन ने कहा कि जेएमएम में मुझे अपमानित महसूस हुआ. मैंने सोचा था कि इसे छोड़ दूंगा, लेकिन समर्थकों ने मुझे मुख्यधारा की राजनीति में बने रहने के लिए प्रेरित किया. सभी स्थितियों पर विचार करने के बाद मैंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया.

चंपई सोरेन ने बुधवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) छोड़ दी थी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की वर्तमान कार्यशैली और उसकी नीतियों ने उन्हें उस पार्टी को छोड़ने के लिए मजबूर किया, जिसकी उन्होंने कई वर्षों तक सेवा की.

चंपाई को क्यों साध रही है BJP

बता दें कि कोल्हान टाइगर के नाम से प्रसिद्ध चंपाई सोरेन पार्टी के संरक्षक शिबू सोरेन के बाद झामुमो में सबसे वरिष्ठ आदिवासी नेता थे. झामुमो में उनका कद इस बात से समझा जा सकता है कि जब हेमंत सोरेन ने ईडी की गिरफ्तारी के कारण झारखंड के मुख्यमंत्री पद से हटने का फैसला किया तो उनके कैबिनेट सहयोगी जोबा माझी की जगह चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि रांची जेल से रिहा होने के बाद 4 जुलाई को हेमंत सोरेन सीएम ऑफिस लौट आए. चंपाई सोरेन को झारखंड कैबिनेट में नए शिक्षा मंत्री के तौर पर शामिल किया गया, लेकिन यह बात ‘कोल्हान के टाइगर’ को रास नहीं आई. और उन्होंने कुछ दिन पहले ही एक्स पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखते हुए पार्टी छोड़ने का ऐलान किया.

कोल्हान क्षेत्र में चंपाई सोरेन की मजबूत पकड़ का इतिहास काफी पुराना है. उन्हें मजदूर वर्ग के नेता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड के लिए लड़ाई लड़ी. उन्हें खुद इस बात पर गर्व है कि इस क्षेत्र के स्थानीय गांवों के 10 हजार से ज्यादा युवाओं को टाटा समूह जैसे औद्योगिक प्रतिष्ठानों में नौकरी मिली. आदिवासी बहुल इलाके कोल्हान की वजह से ही JMM ने 2019 के विधानसभा चुनावों में अपनी जीत पक्की की थी. मोदी लहर और राम मंदिर लहर के बावजूद, हेमंत सोरेन की JMM ने 14 विधानसभा क्षेत्रों में से 11 पर जीत हासिल की और दो पर कांग्रेस ने कब्जा किया था. इन नंबरों के कारण ही JMM ने झारखंड चुनावों में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ चुनावी नंबर दर्ज किया था. इसलिए माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाने के लिए बीजेपी के लिए चंपाई सोरेन अहम हैं.

कोल्हान टाइगर कितने पावरफुल?

कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन झारखंड की प्रभावशाली संथाल जनजाति से आते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड की कुल 3 करोड़ 29 लाख 88 हजार 134 की आबादी में जनजातियों की भागीदारी 86 लाख 45 हजार 42 लोगों की है. इसमें भी अकेले संथाल आबादी ही 27 लाख 54 हजार 723 लाख है. चंपाई सोरेन संथाल जनजाति के शीर्ष नेताओं में गिने जाते हैं. झारखंड राज्य की मांग को लेकर हुए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले चंपाई की अन्य जनजाति के लोगों के बीच भी मजबूत पैठ मानी जाती है.

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