जोधपुर: पारंपरिक मोटा अनाज ही भविष्य का सुपरफ़ूड – कृषि कुलगुरु प्रो.अखिल रंजन गर्ग ने किसानों से जुड़ाव बढ़ाने की अपील की

जोधपुर: आधुनिकता के प्रभाव में हमने विदेशी अन्न को अपनाया और हमारे पारंपरिक मोटे अनाज की उपेक्षा की, नतीजन हमारा शरीर बीमारियों का घर बन गया और वर्तमान में वही मोटा अनाज गेहूं चावल की बजाय महंगे दामों पर बिक रहा है, यह बात कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो अखिल रंजन गर्ग ने कही. प्रो गर्ग डॉ बी आर चौधरी कृषि अनुसंधान केंद्र, मंडोर में पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की “श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र” परियोजना के अन्तर्गत 8 से 13 सितंबर तक आयोजित 6 दिवसीय ” श्री अन्न को मुख्य धारा में लाने के लिए उन्नत कृषि पद्धतियां और मूल्य संवर्धन” विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे.  कार्यक्रम में उपस्थित किसानों एवं प्रशिक्षणार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि मोटे अनाज की वैज्ञानिक खेती के तौर तरीके पूरे मन से सीखे, साथ ही आगे आने वाली पीढ़ी को भी भारतीय खाद्य संस्कृति से जोड़ें.

नई पीढ़ी हमारी खाद्य परंपरा से अनभिज्ञ
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित शिक्षा, संस्कृति, उत्थान न्यास, नई दिल्ली के सह- संयोजक संजय स्वामी ने कहा कि मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते जमीन, पहाड़ और जोहड़ को खात्मे की ओर ले गया, गांव का शहरीकरण कर दिया , नतीजन नई पीढ़ी खेती बाड़ी और हमारी खाद्य परंपरा के ज्ञान से वंचित हैं, ऐसे में आवश्यक है कि हमारी संस्कृति को बचाने के लिए युवा गांव की ओर वापसी करें, श्री अन्न को नियमित जीवन शैली में अपनाएं. उन्होंने देसी गोपालन को अपनाकर उसकी खाद को प्राकृतिक खेती के लिए उपयोग में लेने की भी आवश्यक बात कही.

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विदेशों में मोटे अनाज की बड़ी मांग
निदेशक अनुसंधान डॉ एम एम सुंदरिया ने जानकारी दी कि कृषि अनुसंधान केंद्र, मंडोर लंबे समय से श्री अन्न पर कार्य कर रहा है, कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन देते हुए क्षेत्रीय निदेशक, अनुसंधान, डॉ एसके मूंड ने कहा कि स्वास्थ्य के लिए उतम मोटे अनाज की उपयोगिता तो देखते हुए पूरे विश्व में आज भारत के मोटे अनाज से बने उत्पादों की बड़ी मांग है, हमारे कृषक मोटे अनाज को प्राकृतिक रूप से उपजाकर न सिर्फ स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा दे सकते हैं बल्कि यह उनकी आर्थिक उन्नति के लिए भी काफी लाभदायक साबित होगा.

मूल्य संवर्धन की देंगे जानकारी
6 दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए ‘श्री अन्न उत्कृष्टता केंद्र’ के प्रभारी डॉ मिथिलेश कुमार ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य मोटे अनाज को लेकर जागरूकता बढ़ाना है.  प्रशिक्षण के दौरान प्रक्षेत्र का भ्रमण, उन्नत खेती के तौर तरीके, कीट प्रबंधन , मोटे अनाज का मूल्य संवर्धन कर उत्पाद बनाने सहित मार्केटिंग व विपणन के तौर तरीके भी सिखाए जाएंगे. समारोह में धन्यवाद ज्ञापन डॉ सैमुअल जेबरसन ने किया. मंच संचालन डॉ नम्रता ने किया. कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी, डीन व निदेशक मौजूद रहे.

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