छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की जमानत याचिका खारिज कर दी है। सुरेश चंद्राकर पर करोड़ों रुपए की सड़क निर्माण परियोजना में गड़बड़ी करने, घटिया गुणवत्ता का काम कराने और फर्जीवाड़ा करने का आरोप है। कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि ऐसे आरोपों में जमानत देना न्यायसंगत नहीं होगा।
अदालती दस्तावेजों के अनुसार, सुरेश चंद्राकर ने सड़क निर्माण के लिए मिली सरकारी राशि का दुरुपयोग किया और परियोजनाओं में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया। इससे न केवल राज्य को आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि आम जनता के लिए बनी सड़कों की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई। अदालत ने इस पर गौर करते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया।
इससे पहले लगभग 15 दिन पहले भी सुरेश चंद्राकर पर कार्रवाई हुई थी, जब उसके निर्माण स्थल पर बुलडोजर चला कर अवैध निर्माण को तोड़ा गया था। तब से यह मामला लगातार जांच के दायरे में रहा। भ्रष्टाचार और गुणवत्ता से जुड़े दस्तावेज और सबूतों के आधार पर पुलिस और प्रशासन ने कठोर कदम उठाए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि पत्रकार की हत्या का मामला और भ्रष्टाचार के आरोप दोनों गंभीर हैं। ऐसे मामलों में आरोपी को जमानत देना न्याय व्यवस्था के लिए अनुचित साबित हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी होने तक सुरेश चंद्राकर को हिरासत में रखना जरूरी है ताकि मामले की गहराई से पड़ताल हो सके।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच तेज कर दी है। पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने राज्य में पत्रकारिता और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई से न्यायपालिका और प्रशासन का संदेश स्पष्ट होता है कि किसी भी स्तर पर अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस मामले में आगे की जांच से यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या परियोजना में शामिल अन्य कर्मचारी या ठेकेदार भी किसी प्रकार की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार में शामिल थे। सुरेश चंद्राकर की जमानत खारिज होने से यह संकेत मिलता है कि राज्य सरकार और न्यायपालिका भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधों के मामलों में कड़ा रुख अपना रही है।
इस कार्रवाई को लेकर जनता में संतोष है, लेकिन लोग चाहते हैं कि हत्या और भ्रष्टाचार के मामलों में सभी दोषियों को सजा मिले और न्याय व्यवस्था पूरी तरह प्रभावी साबित हो।