JSW स्टील्स को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने भूषण स्टील्स के फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा कि मामले पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट रद्द करने वाले फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई करेगा.
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने फैसले को वापस ले लिया और मामले (समाधान योजना को चुनौती देने वाली अपील) पर नए सिरे से सुनवाई करने का फैसला किया.
CJI बीआर गवई ने कहा कि प्रथम दृष्टया हम पुनर्विचार की अनुमति देने पर सहमत हैं. हम पूरी सुनवाई करेंगे, लेकिन प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह निर्णय पहले से तय फैसलों के अनुरूप नहीं है.
CJI बीआर गवई ने कहा कि हम किसी अन्य दस्तावेज पर नहीं जाएंगे, सिर्फ फैसले पर गौर करेंगे. मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने दो मई के फैसले को लिया वापस
दरअसल, दिसंबर 2024 में जस्टिस बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा ने बीपीएसएल के लिए जेएसडब्ल्यू की योजना को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि लेनदारों की समिति (सीओसी) ने योजना को मंजूरी देने में गलती की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई के अपने उस फैसले को वापस ले लिया.
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई के अपने उस फैसले को वापस ले लिया, जिसमें भूषण पावर एंड स्टील के परिसमापन का आदेश दिया गया था, जिसे JSW ने 19700 करोड़ रुपए की पुनरुद्धार योजना के तहत अधिग्रहित किया था.
CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल किसी पुनर्जीवित कंपनी के 25000 कर्मचारियों के साथ अन्याय करने के लिए नहीं कर सकता है.
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कही ये बात
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी बताया कि स्थापित उदाहरणों के अनुसार, ऋणदाताओं की समिति के वाणिज्यिक विवेक में हल्के ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है, विशेषकर तब जब इसे एनसीएलटी और एनसीएलएटी दोनों द्वारा समवर्ती रूप से बरकरार रखा गया हो.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ऋणदाताओं की समिति की ओर से समीक्षा का समर्थन किया और कहा कि बीपीएसएल एक ऐसी कंपनी थी जो विभिन्न चूकों के कारण गंभीर वित्तीय संकट में चली गई थी और अब, जेएसडब्ल्यू स्टील द्वारा अधिग्रहण के कारण यह एक “स्वस्थ कंपनी” है.
एसजी ने कहा कि समाधान योजना प्रस्तुत करने की समय-सीमा, जिसके उल्लंघन को निर्णय में गंभीर उल्लंघन बताया गया था, बढ़ाई जा सकती है. एसजी ने पूछा, “अगर समयसीमा का उल्लंघन भी हुआ है, तो क्या यह इतना गंभीर उल्लंघन है कि ऋणदाताओं की समिति द्वारा अनुमोदित समाधान योजना को अस्वीकार कर दिया जाए.” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बीपीएसएल के पुनरुद्धार के लिए धन जुटाने हेतु जेएसडब्ल्यू को अन्य ऋणदाताओं से ऋण लेना पड़ा.