ग्वालियर के JAH में जूनियर डॉक्टर संभाल रहे ट्रॉमा सेंटर, गंभीर मरीजों की सेहत पर संकट

जयारोग्य अस्पताल के ट्रामा सेंटर में इन दिनों इलाज की स्थिति गंभीर बनी हुई है। सिर की चोट, फ्रैक्चर और एक्सीडेंट जैसे गंभीर मामलों में समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर न मिलने से मरीजों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। रोजाना 25 से ज्यादा गंभीर केस ट्रामा सेंटर में पहुंचते हैं लेकिन उन्हें उपचार के लिए जूनियर रेजीडेंट डॉक्टरों पर छोड़ दिया जाता है। इनके पास अनुभव तो है पर विशेषज्ञता नहीं, जिससे उपचार में जोखिम बढ़ जाता है।

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सड़क हादसे में गंभीर घायल होकर दतिया से आए यश नामक युवक को रविवार दोपहर ट्रामा सेंटर में समय पर विशेषज्ञ चिकित्सक का परामर्श नहीं मिल सका। जूनियर डॉक्टरों ने अपने स्तर पर विभिन्न जांच कर इलाज शुरू कर दिया। स्वजन ने बताया कि समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं आने से चिंता बढ़ गई। बार-बार मौके पर मौजूद जूनियर डॉक्टर से ही बेहतर इलाज की गुहार लगाते रहे लेकिन सीनियर चिकित्सक नहीं आए।

रोस्टर में ऑन कॉल ये थे नाम

रविवार रोस्टर में न्यूरो सर्जरी से डॉ. आनंद शर्मा, आर्थोपेडिक से डॉ. उत्कर्ष पाल, जनरल सर्जरी से डॉ. अंकित शर्मा और ओएमएफएस से डॉ. अभिषेक पाठक की ऑन कॉल ड्यूटी थी। ट्रामा सेंटर में न्यूरो और आर्थो के मरीज तो पहुंचे लेकिन ऑन कॉल डॉक्टर नहीं दिखे। बताया गया कि जरूरत पड़ने पर ही वरिष्ठ डॉक्टर को बुलाया जाता है। मरीज पहुंचने पर जूनियर डॉक्टर प्राथमिक उपचार शुरू करते हैं और सीनियर डॉक्टर से फोन पर सलाह लेते हैं।

स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नदारदी से मरीज परेशान

ट्रामा सेंटर में आर्थोपेडिक, न्यूरो सर्जन, जनरल सर्जन और मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों का रोस्टर तो बना है लेकिन डॉक्टर मौके पर नहीं मिलते। इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई बार मरीज बिना उपचार कराए निजी अस्पताल का रुख कर लेते हैं।

अस्पताल में आए एक मरीज के स्वजन से बताया कि वह सुबह आए हैं और कोई भी सीनियर डॉक्टर हमें नहीं दिखा। जूनियर डॉक्टरों पर पूरा बोझ पूरी इमरजेंसी व्यवस्था जूनियर डाक्टरों के कंधों पर है। गंभीर केस बिना पर्याप्त मार्गदर्शन के संभालने पड़ रहे हैं। एक जूनियर डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, हमें हर समय तैयारी रखनी पड़ती है।

प्रबंधन की लापरवाही-जवाबदेही तय नहीं

शिकायत करने पर अस्पताल प्रबंधन ड्यूटी रोस्टर दिखाकर जिम्मेदारी से बच निकलता है। जवाबदेही तय करने का कोई स्पष्ट तंत्र नहीं है। अस्पताल में व्यवस्था को लेकर कई बार आवाज उठी लेकिन समाधान नहीं हो सका।

वीआइपी मरीजों के लिए तुरंत सेवाएं

जब कोई वीआइपी इलाज के लिए आता है तो ट्रामा सेंटर में सीनियर डॉक्टरों की भीड़ लग जाती है। उनकी देखरेख में वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहते हैं। वहीं आम मरीज घंटों इलाज के लिए संघर्ष करते रहते हैं। अस्पताल के एक कर्मचारी ने कहा कि वीआइपी मरीजों के लिए सबकुछ समय पर होता है, आम मरीजों की सुनवाई नहीं होती।

प्रबंधन का बयान

ट्रामा सेंटर इमरजेंसी मेडिसिन नोडल अधिकारी डॉ. जितेंद्र अग्रवाल ने कहा कि ड्यूटी रोस्टर के अनुसार सभी डॉक्टर नियुक्त हैं। जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ डॉक्टर मौके पर पहुंचते हैं। जूनियर डॉक्टर जरूरत पड़ने पर सीनियर को काल करता है और वह मौके पर पहुंचते हैं। व्यवस्थाएं बेहतर बनाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।

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