बस 4 दिन और… फिर से कम हो सकती है आपकी होम लोन EMI, RBI लेने वाला है बड़ा फैसला

आम आदमी को 4 दिन बाद राहत की खबर मिल सकती है. देशभर में होम लोन से लेकर कार लोन जैसे रिटेल लोन्स की ईएमआई में एक बार फिर कटौती हो सकती है. बीते 6 महीने में केंद्रीय बैंक RBI ऐसा दो बार कर चुका है और अब 6 जून को इस बारे में एक बड़ा फैसला करने जा रहा है.

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दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (मोनेटरी पॉलिसी कमिटी-एमपीसी) की बैठक 4 से 6 जून तक चलने वाली है. हर दो महीने में होने वाली इस बैठक में आरबीआई देश में महंगाई के स्तर की पड़ताल करता है और फिर उसके हिसाब से देश की मौद्रिक नीति तय करता है और अपने रेपो रेट में बदलाव करता है. इससे आपके लोन की ईएमआई के ब्याज पर फर्क पड़ता है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने इससे पहले फरवरी और अप्रैल में एमपीसी की बैठक की थी. तब दोनों बार रेपो रेट 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की गई थी. इस तरह बीते 6 महीने के अंदर भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत तक की कटौती हो चुकी है. अभ रेपो रेट 6 प्रतिशत पर बना हुआ है.

तीसरी बार कम होगी ब्याज दर

RBI के इस बार भी अपने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने की उम्मीद है. इसकी वाजिब वजह भी है. देश में एवरेट रिटेल महंगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है. ये आरबीआई के टारगेट के हिसाब से है, इसलिए नीतिगत ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार कटौती की उम्मीद बढ़ गई है. इसके अलावा अमेरिका की ओर से टैरिफ वॉर शुरू किए जाने के बाद वहां पर इंपोर्ट टैक्स बढ़ गया है. ये भारत जैसी एक्सपोर्ट इकोनॉमी के लिए थोड़ा नुकसानदायक है.

ऐसे में आरबीआई के ब्याज दर में कटौती करने से देश में पूंजी की लागत कम होगी. ये देश की इकोनॉमी को ग्रोथ करने में मदद करेगी. वहीं मार्केट में कैश फ्लो बढ़ने से देश में घरेलू स्तर पर डिमांड भी बढ़ेगी, जो इकोनॉमी के लिए अभी जरूरी है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी ने अपनी पॉलिसी के रूख को भी अप्रैल में ही बदल दिया था. अभी आरबीआई का रुख मौद्रिक नीति को लेकर मॉडरेट यानी उदार बना हुआ है.

लोन की EMI होगी कम

आरबीआई के नीतिगत रेपो दर में कटौती करने के बाद फरवरी 2025 से बैंक भी लोन की ब्याज दरों में कमी कर रहे हैं. इससे आम आदमी की होम लोन से लेकर कार लोन तक की ईएमआई सस्ती हुई हैं. आरबीआई के नियमानुसार बैंकों को अपनी ब्याज दर हमेशा किसी बाहरी मानक से लिंक करनी होती है, जिसके लिए ज्यादातर बैंक रेपो रेट को ही मानक मानते हैं. रेपो रेट गिरने से बैंकों की पूंजी की लागत गिरती है, जिसका फायदा वह ग्राहकों को लोन पर कम ब्याज के रूप में देते हैं.

बैंक ऑफ बड़ोदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस का कहना है, ”हमारा मानना है कि महंगाई की नरम स्थिति और आरबीआई के विभिन्न उपायों के माध्यम से कैश फ्लो की स्थिति को बहुत सहज बनाए जाने के चलते, एमपीसी छह जून को रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगी. वृद्धि और महंगाई, दोनों के लिए ये कटौती अहम होगी.”

रेटिंग एजेंसी इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर का मानना है कि चालू वित्त वर्ष के बड़े हिस्से के लिए सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) महंगाई चार प्रतिशत तक रहने के अनुमान के चलते, एमपीसी मौद्रिक नीति में ढील जारी रख सकती है.

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