बिहार के कटिहार जिले में 25 मार्च 2021 को हुई एक दिल दहला देने वाली घटना पर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. रोशना थाना क्षेत्र के लाभा गांव में पत्नी और दो मासूम बेटियों को जिंदा जलाने वाले आरोपी मोहम्मद ताहिर को जिला एवं सत्र न्यायाधीश हेमंत त्रिपाठी की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. वहीं, इस जघन्य अपराध में उसका साथ देने वाली उसकी मां हदीसन खातून को आजीवन कारावास की सजा दी गई है. कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर आर्थिक दंड भी लगाया है. ताहिर पर 50 हजार रुपये और हदीसन खातून पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
यह मामला घरेलू विवाद से शुरू हुआ था, जो बाद में एक दर्दनाक त्रासदी में बदल गया. मृतका रीना खातून का अपने पति मोहम्मद ताहिर से किसी बात को लेकर विवाद हुआ था. विवाद इतना बढ़ गया कि मामला थाने तक पहुंच गया. रीना ने रोशना थाने में अपने पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसके बाद कुछ दिन तक दोनों के बीच दूरी रही, लेकिन आरोपी ताहिर ने चालाकी से सुलह का बहाना बनाकर रीना और उसकी दोनों बच्चियों को वापस घर बुला लिया.
पत्नी से बोला था झूठ
सबको लगा कि मामला अब शांत हो चुका है और पति-पत्नी के बीच समझौता हो गया है. लेकिन कोई नहीं जानता था कि ताहिर के मन में एक खौफनाक साजिश पल रही है. उसने रीना और दोनों बेटियों को एक ही रात अपने घर बुलाया और अगले ही दिन दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी. ताहिर ने पहले उन्हें एक कमरे में बंद किया, फिर उन पर केरोसिन छिड़क कर आग लगा दी. आग की चपेट में आकर तीनों की मौके पर ही मौत हो गई. यह दृश्य इतना भयानक था कि पूरे गांव में मातम पसर गया.
जांच में यह बात सामने आई कि इस पूरी साजिश में ताहिर की मां हदीसन खातून ने भी उसका साथ दिया था. उसने भी न सिर्फ घटना को अंजाम देने में मदद की, बल्कि घटना के बाद भी साक्ष्य छुपाने की कोशिश की. पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया और चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की.
कोर्ट ने सुनाई सजा
मामले की सुनवाई के दौरान पब्लिक प्रॉसिक्यूटर शंभू प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि इस केस में कुल दस गवाहों के बयान दर्ज किए गए. इन गवाहों के बयानों और घटनास्थल से मिले पुख्ता सबूतों के आधार पर यह साफ हो गया कि यह वारदात पूरी तरह से पूर्वनियोजित थी. ताहिर ने न सिर्फ पत्नी से झूठ बोलकर सुलह का नाटक किया, बल्कि मौका मिलते ही उसे और दोनों मासूम बेटियों को बेहद बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर यानी अत्यंत दुर्लभतम श्रेणी का अपराध मानते हुए आरोपी मोहम्मद ताहिर को फांसी की सजा सुनाई. साथ ही न्यायाधीश ने यह टिप्पणी भी की कि समाज में ऐसी घटनाओं से भय का माहौल पैदा होता है और ऐसे मामलों में कठोरतम सजा देना न्याय व्यवस्था का दायित्व बन जाता है.
ट्रिपल मर्डर में मां-बेटे को सजा
ताहिर की मां हदीसन खातून को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई. यह भी एक अहम संदेश है कि अपराध में किसी की भूमिका छोटी या बड़ी नहीं देखी जाएगी, बल्कि कानून के अनुसार हर दोषी को उसकी सजा मिलेगी. कटिहार कोर्ट के इस फैसले को आम जनता के बीच न्याय की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के मामलों में त्वरित और कड़ी सजा मिलना जरूरी है, ताकि समाज में गलत संदेश न जाए और लोग कानून का डर महसूस करें. इस हत्याकांड ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि न्याय भले ही देर से मिले, लेकिन होता जरूर है. जब न्याय का डंडा चलता है, तो अपराध कितना भी संगीन क्यों न हो, उसका अंजाम निश्चितहोताहै.