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झारखंड में अपनी सीट पर पिछड़ रहीं कल्पना सोरेन, लेकिन हेमंत की चुनावी जीत में बनीं बूस्टर

झारखंड विधानसभा चुनाव में आज नतीजों का दिन है. रुझानों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले INDIA ब्लॉक ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है और बहुमत हासिल कर लिया है. अगर रुझान, नतीजे में बदले तो झारखंड 24 साल पुरानी परंपरा तोड़ेगा और सत्तारूढ़ पार्टी धमाकेदार वापसी करेगी. अब तक झारखंड की जनता हर पांच साल में सरकार बदलती आई है और नई पार्टी को सरकार बनाने का मौका मिला है.

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सवाल उठता है कि आखिर ऐसे क्या समीकरण बने, जिससे भ्रष्टाचार के आरोपों समेत सत्ता विरोधी लहर में उलझी JMM की छवि चमकी और बहुमत हासिल करने में कामयाब हो पाई. जानकार इसके पीछे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन (48 साल) की मेहनत और प्रयासों का नतीजा बता रहे हैं. हिंदी और अंग्रेजी में धाराप्रवाह बोलने वाली कल्पना पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता दोनों से जुड़ने की अपनी क्षमता के लिए चर्चित हो गईं. उनकी सभाओं में बड़ी भीड़ उमड़ती देखी गई. उन्होंने कम समय में ही अपनी संवाद शैली के जरिए लोकप्रियता हासिल कर ली.

11 महीने में तेजी से बदली झारखंड की राजनीति

दरअसल, झारखंड की राजनीति में पिछले 11 महीने के दरम्यान काफी कुछ बहुत तेजी से बदलते देखा गया. यूं कह सकते हैं कि साल की शुरुआत से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार आरोपों में उलझी और फिर लगातार मुश्किलों से घिरी देखी जाती रही.

बगावत रोकने से लेकर सरकार बचाए रखने की चुनौती संभाली

31 जनवरी के बाद झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल मची और नवंबर में मतदान होने तक यह सिलसिला थमा नहीं. 31 जनवरी को ईडी ने लैंड स्कैम से जुड़े मामले में हेमंत सोरेन से लंबी पूछताछ की और फिर गिरफ्तार कर लिया. हेमंत को इस्तीफा देना पड़ा और चंपई सोरेन की ताजपोशी हुई. 5 महीने तक हेमंत जेल में रहे. जब जमानत पर बाहर आए तो पार्टी के अंदर बगावत और ब्रेकअप की दीवार खड़ी हो गई.

चंपई सोरेन समेत अन्य खांटी नेताओं ने JMM से नाराज होकर पार्टी का साथ छोड़ दिया और विपक्षी खेमे BJP से हाथ मिला लिया. दिग्गज नेताओं के साथ छोड़ने से JMM पूरी तरह बिखरती, उससे पहले ही हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन ने राजनीति में एंट्री की और पति की जिम्मेदारी को अपने कंधों पर ले लिया.

लोकसभा चुनाव में संभाली JMM की प्रचार कमान

पहले लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए दमखम से प्रचार किया और इंडिया ब्लॉक के नेताओं के साथ कदम से कदम मिलाकर साथ चलीं. उसके बाद जून में खुद गांडेय सीट से उपचुनाव लड़ा और 26,000 वोटों से जीत हासिल की. यह सीट सरफराज अहमद के राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई थी. हाल में विधानसभा चुनाव के प्रचार में कल्पना ने पूरी ताकत झोंक दी और सबसे ज्यादा चुनावी रैलियां कर झारखंड का चप्पा-चप्पा खंगाला डाला.

इस बार भी कल्पना गांडेय सीट से मैदान में हैं. हालांकि, इस बार वो अपनी सीट पर ज्यादा समय नहीं दे पाईं. ताजा रुझानों में वे यहां से 4593 वोटों से पीछे चल रही हैं. बीजेपी की मुनिया देवी गांडेय सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं. कल्पना को अब तक 12350 वोट मिल चुके हैं. रुझानों पर कल्पना सोरेन कहती हैं कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा. थोड़ा इंतजार करना चाहिए. दो-तीन घंटे में स्थिति पूरी तरह साफ हो जाएगी. झारखंड की जनता ने विकास का रास्ता चुना है और इस बार मैया की जीत हो रही है.

कहा जा सकता है कि कल्पना के लिए यह चुनाव उनका पॉलिटिकल डेब्यू था और उन्होंने पहली ही पारी में ही धमाकेदार प्रदर्शन किया है. JMM अभी 31 सीटों पर आगे है. सहयोगी कांग्रेस 12 सीटों पर आगे है. आरजेडी कुल 6 और CPI (ML) (L) एक सीट पर आगे है. इंडिया ब्लॉक कुल 50 सीटों पर आगे है. यहां बहुमत के लिए 42 सीटें जीतना जरूरी है. जबकि एनडीए 29 सीटों पर आगे है. अन्य 2 पर आगे है.

कैसे महिला आदिवासी वोटर्स के बीच बनीं लोकप्रिय?

कल्पना सोरेन ने राजनीति में एंट्री ली तो सबसे पहले महिला आदिवासी वोटर्स को केंद्र में रखा. उन्होंने एक साल से भी कम समय में महिला आदिवासी वोटर्स के बीच पैठ बनाई और गेम चेंजर साबित हो गईं. झारखंड में कुल 2.6 करोड़ मतदाताओं में से 1.29 करोड़ महिला मतदाता हैं.

JMM सरकार चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना लेकर आई. इस योजना के तहत महिलाओं को सालाना 12,000 रुपये दिए जाने का ऐलान किया गया. इस योजना में 45 लाख से ज्यादा महिलाओं को वित्तीय सहायता पहुंचाई जा रही है. इससे बड़ी संख्या में महिला वोटर्स का JMM के प्रति रुझान बढ़ा और इससे सीधे सरकार को चुनाव में भी फायद मिलते देखा गया. यह योजना झारखंड चुनाव में खासी लोकप्रिय देखी गई.

कल्पना सोरेन ने रैलियां कीं तो उसमें बड़ी संख्या में भीड़ जुटी और खासतौर पर आदिवासी महिला वोटर्स की संख्या ज्यादा रही. कल्पना का लोगों से जुड़ने का तरीका भी अपने पति से बिल्कुल अलग है. वो अपने भाषण का फ्लो चार्ट तैयार करके आईं. अपने भाषण की शुरुआत इस बात से करती देखी गईं कि झारखंड में कल्याणकारी योजनाओं को लागू किए जाने से पति को निशाना बनाया गया और जेल भेजा गया. उसके बाद वो भीड़ को JMM के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की कई प्रमुख योजनाओं के बारे में बताती रहीं.

उनके भाषण से महिला वोटर्स प्रभावित हुईं और उनकी रैलियों की मांग बढ़ती गई. सोरेन परिवार के करीबी सहयोगी भी कहते देखे गए कि ”हेमंत दा से ज्यादा डिमांड कल्पना जी का ही आ रहा है.” सहयोगी ने कहा, “हमारे लिए सभी बैठकों की सूची बनाना असंभव होता जा रहा था. कल्पना जी से मुलाकात के लिए हर दिन कम से कम 10-12 अनुरोध आ रहे थे. लेकिन हमारे पास समय की कमी रही.”

मार्च 1985 में जन्मी कल्पना के पास इंजीनियरिंग की डिग्री और एमबीए की डिग्री है. जनवरी 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उनके पति हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद राजनीति में उनकी एंट्री हुई थी. उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली में एक रैली में अपनी राजनीतिक शुरुआत की. कल्पना को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार का काम सौंपा गया और उनके नेतृत्व में गठबंधन ने झारखंड की सभी पांच आदिवासी-आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की. ​​झारखंड में दो चरणों में विधानसभा चुनाव हुए हैं. 13 और 20 नवंबर को वोटिंग हुई और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जा रहे हैं.

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