छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कन्हारगांव का रहने वाला मयंक साहू पिछले 6 महीने से ईरान में फंसा हुआ हैं। मयंक चेन्नई से मर्चेंट नेवी का कोर्स करने के बाद ईरान की एक मर्चेंट कंपनी में 9 महीने के एग्रीमेंट पर काम कर रहे हैं।
इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण मयंक के परिजन चिंतित हैं। उनके पिता गंगदेव साहू ने अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। भारत सरकार ने हाल ही में ईरान से कई भारतीयों की वापसी कराई है। लेकिन मयंक अभी भी वहीं हैं।
एएन शिपिंग सर्विसेज रैपिड ओशन 11 लिमिटेड के क्रू मैनेजर ने इस मामले में पहल की है। उन्होंने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली को पत्र लिखा है। कंपनी ने मयंक की वापसी में आने वाले सभी खर्चों को वहन करने की बात कही है। मयंक को प्रधान जहाज सेनोरिटा के लिए भर्ती किया गया था।
इंटरनेशनल कॉल के जरिए संपर्क में
बताया जा रहा है कि इंटरनेशनल कॉल के जरिए मयंक अपने परिजनों के संपर्क में है। वे जहां मौजूद है वहीं करीब 60 लोग फंसे हुए है। परिजनों ने पत्र जिला प्रशासन को सौंपा है। SDM ने जल्द ही इस पर एक्शन लेने की बात कही है।
शारजाहपुर के लास्ट बॉर्डर पर फंसे
मयंक की मां ने बताया कि 23 जून को बेटे से कॉल पर बात हुआ है। सभी 60 लोग दुबई शारजाहपुर के लास्ट बॉर्डर में है। हमें आश्वासन मिला है कि आपके बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा। पत्र लिखा था हमने वहां के लड़कों ने गृहमंत्री राष्ट्रपति से बात किए है। उन लोगों ने कहा कि ये हमारी जिम्मेदारी है।
मर्चेंट नेवी के वॉच किपिंग पोस्ट पर कार्यरत है। 8 फरवरी 2025 को ज्वाइनिंग थी तो यहां से वे 4 फरवरी 2025 को निकल गए थे। शिप में वे काम संभाल लिए थे।