सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स तो बहुत काबिल होते है लेकिन इसके बावजूद लोग वहां जाने से कतराते है. इसका सबसे बड़ा कारण होता है सरकारी अस्पतालों की गंदगी और लगने वाली लंबी लाइन. अगर हम कानपुर की बात करें तो यहां के सरकारी अस्पताल उर्सला में बेड की सफाई रखने का एक अनोखा तरीका निकाला है. यहां पर दिन के हिसाब से बेड की चादरों का रंग बदल दिया जाता है. यह तरीका इतना कारगर साबित हुआ कि अब इसका इस्तेमाल शहर के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी किया जा रहा है.
अगर सोमवार है तो सफेद चादर और बुधवार है तो हरी चादर. यह किसी धार्मिक मान्यता की बात नहीं कर रहे है बल्कि आपको एक ऐसी बात बताने जा रहे है जो आपको आश्चर्यचकित कर देगी. सभी सरकारी अस्पतालों की तरह कानपुर के उर्सला अस्पताल में भी मरीज के बेड की चादर गंदी मिलती थी. जब लॉन्ड्री को बोला जाता था तो वो हमेशा बोल देते थे कि चादर धुली हुई है. सभी चादर सफेद होती थी तो असलियत पता नहीं चल पाती थी.
क्या बोले उर्सला अस्पताल के निदेशक?
उर्सला अस्पताल प्रशासन ने इसका एक तोड़ निकाला. अस्पताल के निदेशक हरिदास अग्रवाल ने बताया कि अस्पताल में दिन के हिसाब से चादरों के रंग बदल दिए गए है. सोमवार को सफेद, मंगलवार को पीच, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को पिंक, शनिवार को गहरा नीला और रविवार को लाइट मस्टर्ड रंग की चादरों का इस्तेमाल किया जाता है.
हर रोज बदली जा रही चादर
निदेशक के अनुसार अब लॉन्ड्री वाले गलत जानकारी नहीं दे पाते हैं और रंग की वजह से रोज चादर बदलनी पड़ती है. इसका फायदा यह होता है कि मरीजों को रोज साफ चादर मिलती है. उर्सला में भर्ती मरीज पुलकित ने कहा कि यहां पर रोज चादर बदली जाती है. उन्होंने बताया कि जब उर्सला के लोगों से पूछा तो पता चला कि सफाई बनी रहे इसके लिए यह अलग-अलग रंग की चादरों का इस्तेमाल किया जाता है.