कानपुर में नकली नोटरी की बिक्री के खेल का बड़ा खुलासा हुआ है. इसमें 12 नोटरी अधिवक्ताओं पर मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी गई है, लेकिन इस तहरीर को देने में इतनी जल्दबाजी की गई कि, यह भी नहीं देखा गया कि इसमें से कई अधिवक्ताओं का देहांत हो चुका है. अब इस मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू की गई है.
तकरीबन दो साल पहले इस बात का खुलासा हुआ था कि कानपुर कोर्ट में नकली नोटरी टिकट से नोटरी की जा रही है. इसके लिए कलर फोटोकॉपी का इस्तेमाल करके नकली नोटरी टिकट बनाया जाता था. उसके बाद उससे नोटरी कर दी जाती थी. जब यह मामला सामने आया तो तत्कालीन जिलाधिकारी ने इस मामले में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर आदेश दिया था कि इसकी गहन जांच की जाए.
950 शपथपत्रों की जांच हुई
तीन सदस्यीय जांच टीम ने तकरीबन 950 शपथपत्रों की जांच की थी. इन सभी शपथपत्रों में से ज्यादातर शपथपत्र योजनाओं का लाभ लेने के लिए लगाए गए थे. इनमें नोटरी टिकट का इस्तेमाल किया गया था. जब टीम ने सभी शपथपत्रों की जांच की तो पता चला कि इसमें से 423 शपथपत्र ऐसे है, जिसमें नकली नोटरी टिकट का इस्तेमाल किया गया था.
इस मामले में 12 नोटरी अधिवक्ताओं के खिलाफ मुकदमा लिखने के लिए कोषागार के मुख्य रोकड़िया की तरफ से कोतवाली में तहरीर दी गई, जिसमें एक नामजद के साथ अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. तहरीर में जिन 12 नोटरी अधिवक्ताओं पर आरोप लगाया गया है, उसमें अवधेश तिवारी, केके निगम, शिवभोली दुबे, प्रकाशचंद्र, एसके मिश्रा, कुंदन राजा, लक्ष्मीकांत मिश्रा, पूनम सिंह, एल आर नारायण, एम एन श्रीवास्तव, पंकज अग्रवाल और पीके चतुर्वेदी शामिल हैं.
कानपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने क्या बताया?
कमाल की बात तो यह है कि इसमें से शिवभोली दुबे, पीके चतुर्वेदी और कुंदन राजा का निधन हो चुका है. कानपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष इंदिवर वाजपेई ने बताया कि इन तीनों अधिवक्ताओं का तकरीबन दो साल पहले ही निधन हो चुका है. ऐसे में इनके खिलाफ कैसे तहरीर दी गई यह बड़ा सवाल है. फिलहाल पुलिस ने तहरीर के आधार पर अवधेश तिवारी के साथ अन्य अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है.